Khalida zia death: बांग्लादेश की पूर्व और पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का मंगलवार को निधन हो गया. 80 वर्ष की उम्र में उन्होंने ढ़ाका के अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के मीडिया सेल ने उनके निधन की जानकारी सबसे पहले फेसबुक पोस्ट के जरिए दी.
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “बीएनपी की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया का आज सुबह यानि मंगलवार को 6 बजे फज्र की नमाज के कुछ देर बाद निधन हो गया. 25 दिसंबर को खालिदा जिया के बेटे तारीक रहमान 17 सालों बाद ढ़ाका से लौटे थे. उनके लौटने के 5 दिन बाद ही खालिदा जिया ने आखिरी सांस ली.
Khalida zia death: कई महीनों से थी बीमार
खालिदा जिया पहले कई महीनों से बीमार चल रही थी और उनका इलाज ढ़ाका के इवरकेयर अस्पताल में चल रहा है. इसी महीन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने खालिदा जिया की सेहत के लिए दुआ करते हुए हर तरह के मदद की पेशकश की. खालिदा जिया चार दशक से ज्यादा समय में बांग्लादेश की राजनीति में थी. पति के मारे जाने के बाद खालिदा जिया ने बीएनपी की कमान अपने हाथ में ली थी.
उनके पति जियाउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे तभी उनकी हत्या कर दी गई थी. खालिदा जिया बांग्लादेश में बहुदलीय लोकतंत्र की समर्थक रही हैं. बेगम जिया 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थी जब बीएनपी को चुनाव में जीत मिली थी. इसके बाद वो 2001 में सत्ता में लौटी और 2006 तक प्रधानमंत्री रही. बीएनपी ने बांग्लादेश में पिछले तीन चुनावों का बहिष्कार किया था. 2024 में शेख हसीना के खिलाफ शुरु हु आंदोलन का खालिदा जिया को समर्थन मिला था.
Khalida zia death: सत्ता में आ सकती है पार्टी
बीएनपी फिलहाल बांग्लादेश की सबसे बड़ी पार्ट है. समर्थकों और आम जनता का मानना है कि अगले साल फरवरी में होने वाले चुनाव में वो सत्ता में आ सकती है. शेख हसीना जब प्रधानमंत्री थी तो खालिदा जेल में थी. खालिदा जिया के बेटे तरिक रहमान को भी अदालत ने कई मामलों में दोषी ठहराया था जिसके बाद वो लंदन चले गए थे. मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने खालिदा और उनके बेटे को बरी कर दिया जिसके बाद वो 25 दिसंबर को वापस अपने वतन लौटे.
Khalida zia death: कौन थी खालिदा जिया?
खालिदा का जन्म 1945 में जलपाईगुड़ी जो अब भारत के पश्चिम बंगाल में है वहां हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई दिनाजपुर मिशनरी स्कूल में हुई और उसके बाद 1960 में दिनाजपुर महिला स्कूल से मैट्रिक किया. खालिदा के पिता इस्कंदर मजूमदार बिजनेसमैन थे और मां तैयबा मजूमदार हाउसवाउफ थी. 1960 में उनकी शादी जिया उर रहमान से हुई. शादी के समय वो पाकिस्तान आर्मी कैप्टन थे.
1971 में मुक्ति संग्राम शुरु होने के बाद जिया उर रहमान ने पाकिस्तान आर्मी से बगावत कर जंग में हिस्सा लिया. इस समय खालिदा हाउसवाइफ थी.जिया उर रहमान कहा करते थे कि खालिदा एक शर्मीली हाउसवाइफ है जो अपने दोनों बच्चों के लिए समर्पित है. 30 मई को जियाउर रहमान की हत्या के बाद बीएपी बड़े संकट में फंस गई. इस मुश्किल समय में खालिदा ने राजनीति को अपनाया औ 10 मई 1984 को खालिदा को BNP का चेयरपर्सन चुना गया.
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