Shivraj Patil Death : देश के पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवराज पाटिलका शुक्रवार को निधन हो गया. लंबे वक्त से बीमार चल रहे नेता ने लातूरमें 90 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. नेता का निधन उनके घर ही हुआ. शिवराज पाटिलका जन्म 12 अक्टूबर, 1935 में हुआ था. पाटिलएक मध्यमवर्गीयपरिवार से आते थे और पिता एक किसान थे. उनकी मां का नाम शारदा पाटिलथा. इस बैकग्राउंडसे आने के बाद भी उन्होंने जबरदस्त सियासी सफर तय किया.
कई सालों का था राजनीतिक सफर
शिवराज अंतिम वक्त तक राजनीति में एक्टिव रहें लेकिन राजनीतिक जीवन से रिटायरमेंट उन्होंने बहुत पहले ले ली थी. पाटिल मराठवाड़ा के लातूर से सांसद रह चुके हैं. वो राजनीति की बुलंदियों तक पहुंचे और उन्हें हमेशा से ही एक साफ छवि वाला नेता माना गया है. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने 1967 में की थी. 1967-69 तक उन्होंने लातूर नगर पालिका में काम किया. लातूर ग्रामीण सीट से वह 1973 से 1980 तक विधायक रहे. 1980 के बाद वह कई बार लोकसभा भी गए. 1980 के आम चुनावों में जीतकर वो लोकसभा पहुंचे और इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री भी रहे. सबसे पहले वो रक्षा राज्य मंत्री बने.
1980 से 1999 तक पाटिल ने लगातार 7 बार लोकसभा चुनाव जीता. इस बड़ी उपलब्धि ने ना सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में उन्हे एक दमदार पहचान दिलाई. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह तीनों की ही सरकार में वो मंत्री बने. इंदिरा और राजीव गांधी की सरकार में उन्होंने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष राज्य मंत्री का पदभार संभाला. 1980 से लेकर 2008 कर कांग्रेस की जितनी बार भी सरकार बनी, पाटिल उतनी बार मंत्री बने.
लोकसभा स्पीकर और गृह मंत्री का सफर
1991 में जब कांग्रेस दोबारा सत्ता में लौटी तब पाटिल लोकसभा स्पीकर बने. वो लोकसभा के 10वें स्पीकर बनें. उस समय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव बने. उनके कार्यकाल के दौरान ही उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार देने की घोषणा की. शिवराज पाटिल 2004 में लोकसभा चुनाव हार गए. इसके बाद वो राज्यसभा के जरिए सदस्य बनाकर मनमोहन सिंह की सरकार में गृह मंत्री बनें. 30 नवंबर, 2008 में उन्होंने गृह मंत्री की पद से इस्तीफा दे दिया. 2008 के मुंबई हमलों के बाद उन्होंने चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया. गृहमंत्री का पद छोड़ने और कार्यकाल पूरा होने के बाग उन्हें राज्यपाल बनाया गया. 2010 से लेकर 2015 तक वो पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक रहें.
शिवराज पाटिल भारतीय राजनीति के अनुभवी शख्सियत थे. पाटिल लिंगायत कम्यूनिटी से थे और1963 में उन्होंने विजया पाटिल से शादी की थी. वो सत्य साईं बाबा के बड़े भक्त थे. पाटिल ने अपनी शुरुआती शिक्षा लातूर में पूरी की जिसके बाद उस्मानिया यूनिवर्सिटी से साइंस में ग्रेजुएशन किया. मुंबई यूनिवर्सिटी से उन्होंने लॉ की पढ़ाई की थी.

