Desk : बीते दिन रुसी राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में स्टेट डिनर का आयोजन किया गया था. उस डिनर में शामिल होने वाले गेस्ट लिस्ट को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस नेता शशि थरुर को इस डिनर पर या यों कहें राजकीय भोज में आने का न्यौता मिला था.
वहीं राज्यसभा और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को इसका न्यौता नहीं मिला था. ये दोनों पार्टी के शीर्ष नेता भी हैं. विवाद यहीं से शुरु हुआ है और पक्ष-विपक्ष इसमें कूद पड़ा है. एक तरफ कांग्रेस ने जहां इस पूरे वाक्ये को क्रेंद सरकार द्वारा परंपराओं को तोड़ना बताया हैं तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने अपने इस कदम को जस्टिफाई किया है.
कांग्रेस का तीखा वार
पार्टी के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने कांग्रेस सांसद शशि थरुर के इस भोज में शामिल होने पर जमकर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि, हम होते तो अंतरात्मा की आवाज सुनते. उन्होंने अप्रत्यक्ष रुप से नाराजगी जताते हुए कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं को आमंत्रण नहीं मिला तो किसी अन्य नेता को बुलाए जाने का अर्थ समझना चाहिए.
उनका यह भी कहना था कि इस निमंत्रण को स्वीकार करने वाला भीी सवालों के घेरे में आता है. खेड़ा ने साफ कहाकि दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रण नहीं मिला, यह हैरानी की बात है. उन्होंने कहा कि यह सरकार सभी प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए ही जानी जाती है. निमंत्रण देने वाला और स्वीकार करने वाला दोनों ही सवालों के घेरे में आता है.
भाजपा ने किया बचाव
एक बार फिर भाजपा शशि थरुर का बचाव करते नजर आई. बीजेपी ने कांग्रेस की आलोचना को सिरे से खारिज कर दिया. दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कांग्रेस के सोचने की शैली पर सवाल उठाए हैं. मनोज तिवारी ने कहा कि- पता नहीं कांग्रेस के सोचने का क्या तरीका है.
सरकार विभिन्न दलों के विशेंषज्ञों को कूटनीतिक प्रयासों में शामिल करती है. तिवारी ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों का उदाहरण देते कहा कि अंतर-पार्टी सहयोग आम बात है. दूसरी पार्टियों के सदस्यों ने भी विदेश नीति को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है. उन्होंने सवाल किया है कि कांग्रेस लीडरशिप को आखिर इससे क्या दिक्कत है?
शशि थरुर और उनकी पार्टी के बीच की ये रार पहली बार नहीं है. थरुर लगातार अपनी ही पार्टी के निशाने पर बने रहते हैं.

