Ram Vilas Paswan : पढ़िए, सड़क से सदन तक का सफर..दिलेरी के साथ टिकट मांगने पहुंचे थे..

Ram Vilas Paswan : बिहार की राजनीति में कई बड़े नेताओं का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। इनमें एक नाम रामविलास पासवान का भी है। रामविलास पासवान एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जिन्हें मौसम वैज्ञानिक जैसे नाम दिया गया। खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड के छोटे से गांव में जन्मे रामविलास पासवान ने बिहार की राजनीति में इतिहास रचा है। दलित परिवार में जन्म लेने वाले पासवान ने पिछड़ेपन को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ते चले गए। आज हम इनकी राजनीतिक करियर की शुरुआती दौर के बारे में बात करेंगे कि कैसे सोशलिस्ट पार्टी से टिकट मांगने सांसद रामजीवन सिंह के पास पहुंचे।

जब पहली बार टिकट मांगने पहुंचे रामविलास पासवान : पूर्व सांसद रामजीवन सिंह एक किस्सा सुनाते हैं कि रामविलास पासवान में गजब की प्रतिभा थी। 90 वर्षीय श्री सिंह कहते हैं कि वर्ष 1969 में मैं मुंगेर जिला सोशलिस्ट पार्टी का अध्यक्ष था। सर्दी के दिन थे और नहा कर आया था। तभी देखा कि एक दुबला-पतला लड़का कुर्ता-पायजामा पहने सड़क से पार्टी कार्यालय की ओर आ रहा है। मैं अखबार पढ़ता रहा था।

लड़का मेरे सामने पहुंचा और प्रणाम किया। मैंने पूछा कहां आए हो। तो कहने लगे- हां, मेरा नाम रामविलास पासवान है और मैं अलौली क्षेत्र का रहने वाला हूं और मैं आपसे सोशलिस्ट पार्टी का टिकट मांगने आया हूं। मैंने स्टूल सामने बढ़ाया और कहा- बैठ जाओ। वह बैठ गया और बोला- सर, आप चाहो तो टिकट दिलवा सकते हैं। मैंने कहा कि आप कैसे चुनाव लड़ोगे। मैंने कहा-कितनी पढ़ाई की है तो कहना कि बीए पास किया है। ठीक है टिकट के लिए एक आवेदन पत्र लिखें। वे आवेदन लिखने लगे।

पूर्व सांसद रामजीवन सिंह ने की मदद : उस समय मिश्री सदा हमेशा अलौली से कांग्रेस विधायक थे। आजादी के बाद से वह लगातार जीत रहे थे। वहां से सोशलिस्ट पार्टी का एक लड़का हिम्मत करके टिकट मांगने आ गया। मैंने मन ही मन सोचा, इसकी मदद की जानी चाहिए। तब तक उन्होंने लिखित में आवेदन दिया था। उनके आवेदन की गलतियों को हमने प्रूफरीडिंग कर ठीक किया और कहा ठीक है, मैं आज ही पटना जा रहा हूं और वहां से पार्टी सिंबल लूंगा। आप सोमवार को यहां से पार्टी सिंबल ले जाएंगे। मैंने पटना जाकर अपनी पार्टी के नेता कर्पूरी ठाकुर और अन्य लोगों को आवेदन दिखाया और पूरी बात की जानकारी दी।

आगे बताते हैं कि पार्टी ने मेरे सुझाव को मानते हुए टिकट फाइनल किया। मैंने सिंबल लिया और तय तारीख पर पार्टी ऑफिस पहुंच गया। रामविलास जी पहुंच चुके थे। मैंने सिंबल दिया तो बोले साहब, मैं गरीब आदमी हूं, चुनाव खर्च का कुछ इंतजाम होता तो अच्छा रहता। मैंने एक हजार रुपये दिए। उन्होंने समाजवादी टिकट पर चुनाव जीता था। उस समय बेगूसराय जिले के गढ़पुरा प्रखंड की कुछ पंचायतें अलौली विधानसभा क्षेत्र में ही थीं। जो मेरे इलाके के बगल में था। मैंने उस क्षेत्र में उनकी मदद की।

बिहार की राजनीति में पासवान का दबदबा : इसके बाद वे राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते रहे। वर्ष 1972 के विधानसभा चुनाव में मिश्री सदा को हराया था। इसके बाद छात्र आंदोलन में कूद पड़े। वर्ष 1977 में हाजीपुर से रिकॉर्ड मतों से जीतकर जनता पार्टी के सांसद बने। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राजनीति के मौसम विज्ञानी से लेकर अवसरवादिता और राजनीति में वंशवाद बढ़ाने तक देश के शीर्ष नेताओं का राजनीति में दबदबा रहा।