Priyanka–Prashant Kishor Meet : बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रशांत किशोर एक बार फिर सियासत के केंद्र में हैं. दिल्ली जाकर उन्होंने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से 2 घंटे मुलाकात की. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और नेता- पॉलिटिकल स्ट्रेचेजिस्ट प्रशांत किशोर की मीटिंग बंद कमरे में 2 घंटे तक चली. इस बातचीत के बाद वो सीधे बिहार लौट आए. बातचीत को लेकर दोनों में से किसी ओर से इस मुलाकात को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. सियासी गलियारे में इस मुलाकात को इत्तेफाक नहीं बल्कि संकेत माना जा रहा है.
PK से मुलाकात के क्या हैं संकेत?
बातचीत बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है. हाल के दिनों में राजनीतिक पार्टियों में बड़े बदलाव हो रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रशांत और प्रियंका की इस पहली मुलाकात में बिहार, उत्तर- प्रदेश और देश में विपक्ष की राजनीति पर चर्चा हुई. बातचीत के मुख्य एजेंडे में यूपी-बिहार ही रहा.
जब संसद के बाहर प्रियंका से इस मुलाकात को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि यह भी कोई न्यूज है. यानि इस बात को सार्वजनितृक तरीके से हल्के में लिया गया. सवाल साफ है कि क्या PK फिर से कांग्रेस के साथ आ सकते हैं? और अगर साथ आए तो कांग्रेस की राजनीति कैसे बदलेगी? हालांकि मुलाकात की खबरें सामने आने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है.
कांग्रेस अब फ्रंटफुट पर रहेगी
बिहार चुनाव में चुनावी हार के बाद कांग्रेस की समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने साफ संदेश दिया है कि अब आधे-अधूरे समझौते नहीं होंगे बल्कि पूरे ताकत से लड़ाई होगी. राहुल गांधी ने साफ कहा है कि कांग्रेस अब फ्रंटफुट पर चुनाव लड़ेग, चाहे इसके लिए कठोर फैसले ही क्यों ना लेने पड़ें. इसके साफ संकेत हैं कि कांग्रेस नए सिरे से राजनीतिक प्रयोग चाहती है. बिहार चुनाव के दौरान भी PK ने कभी कांग्रेस पर सीधे तौर पर चुनावी हमले नहीं किए. कई इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि मेरी विचारधारा कांग्रेस के करीब है. चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस को सुझाव भी दिया था कि कांग्रेस को आरजेडी का साथ छोड़कर अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए.
12 राज्यों का प्लान
सूत्रों के मुताबिक आने वालों में सालों में कांग्रेस 2026-27 में पूरे 12 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहा है. अंदरखाने चर्चा यह भी है कि कांग्रेस PK के साथ नया प्रयोग कर सकती है. बिहार में आरजेडी से भी दूरी की तैयारी की चर्चा बहुत तेज है. बिहार की समीक्षा बैठक में कांग्रेस नेताओं ने साफ कहा था कि कांग्रेस अब RJD से अलग रहकर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है.
कांग्रेस को पुराने फॉरवर्ड, दलित, मुस्लिम समीकरण पर लौटने की जरुरत है. बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का बयान इसमें काफी अहम रहा, जिसमें उन्होंने कहा कि हमारा गठबंधन सिर्फ चुनाव तक का है, फिलहाल किसी गठबंधन से नहीं है. माना जा रहा है कि PK भले ही अकेले चुनाव ना जीत पाएं हो लेकिन नेशनल लेवल पर वो गेमचेंजर हो सकते हैं.
PK के आने से क्या बदलेगा?
2021 में राहुल-प्रियंका से मुलाकात के दौरान अपनी भूमिका साफ की थी लेकिन तब CWC के विरोध से बात अटक गई थी. अब अगर 4 साल बाद हालात बदलते हैं तो PK के आने से कांग्रेस को पता चल जाएगा कि क्या करना है और क्या नहीं. 2014 के बाद से कांग्रेस अब तक बड़ी जीत के लिए तरस रही है.PK को आठ से ज्यादा राज्यों का अनुभव है और इसके साथ ही उन्हें बीजेपी की ताकत और कमजोरी की गहरी समझ भी है.
PK का क्या होगा रोल
– विधानसभा और लोकसभा चुनावों की कोर स्ट्रेटेजी तय करना
-गठबंधन सहयोगियों से बातचीत और सीट शेयरिंग
-राज्य के प्रभारियों से सीधा कनेक्ट
PK ने अब तक इन नेताओं के साथ किया है काम
-नरेंद्र मोदी
-ममता बनर्जी
-एमके स्टालिन
-नीतीश कुमार
-उद्धव ठाकरे
-जगनमोहन रेड्डी

