10 December – International Human Rights Day : अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर यानि आज ही के दिन मनाया जाता है. इस साल मानवाधिकार दिवस की थीम है, ‘मानव अधिकार-हमारी दैनिक आवश्यकताएं’. यह थीम हमें याद दिलाता है कि भोजन, पानी, स्वास्थ्य, सुरक्षा और गरिमा जैसे अधिकार किसी भी व्यक्ति के लिए हन बुनियादी और अनिवार्य हैं.
इस साल जब हम यह दिन मना रहे हैं जब भारत के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं. भारत मौजूदा वक्त में वायु प्रदूषण, जल संकट, प्रेस की स्वतंत्रता में गिरावट और मानवाधिकार उल्लंघन के बढ़ते मामलों से लगातार जूझ रहा है.
NHRC की भूमिका National Human Rights Commission Role
भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानि NHRC 1993 में स्थापित हुआ है. आयोग मानवाधिकारों की रक्षा में अहम भूमिका निभा रहा है. आयोग ने अब तक के 32 सालों में 23.5 लाख से अधिक मामलों की सुनवाई कर चुका है और अब तक लगभग 9000 मामलों में 263 करोड़ रुपए के मुआवजे की भी सिफारिश की है.
इसके तहत कई संवेदनशील मामले जैसे हिरासत में हिंसा, अस्पताल आग हादसे, पटाखा फैक्ट्री विस्फोट, सीवर सफाई की मौत और बच्चों के खिलाफ हिंसा में खुद से ही संज्ञान लेकर कार्रवाई की है. आयोग का कहना है कि मानवाधिकारों के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं समाज के हर स्तर पर सहिष्णुता जरुरी है.
बदली है मानवाधिकार की लड़ाई
भारत पर्यावरणीय दबाव, बढ़ते जल संकट, प्रेस की स्वतंत्रता में गिरावट और प्रशासनिक लापरवाहियों के चलते एक संवेदनशील मोड़ पर खड़ा है. मानवाधिकार दिवस हमें याद दिलाता है कि हर बेसिक जरुरत की वस्तु हर भारतीय का अधिकार है.
इस वर्ष में हुए घटनाक्रमों ने इस बात पर बहुत जोड़ दिया है कि भारतीयों के अधिकारों को अनदेखा करना इसके लोकतांत्रिक ढ़ांचे को कमजोर करता है.
वायु प्रदूषण Air Pollution
भारत में लगातार वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है. दिल्ली-कोलकाता जैसे बड़े शहर लगातार हाई अलर्ट जोन से भी ऊपर चल रहे हैं. कण प्रदूषण से भारतीयों की औसत आयु 3.5 साल घट रही है, वहीं उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में यह उम्र को 5-8 साल तक घटा रही है.
जल संकट Water Crisis in India
भारत में मौजूदा वक्त में 6 करोड़ लोग पानी की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं. 2019 के जल प्रबंधन सूचकांक के अनुसार भारत 122 देशों में 120वें स्थान पर था. ग्रीनपीस सर्वे के अनुसार दिल्ली की कई झुग्गियों में परिवार अपनी मासिक आय का 15 प्रतिशत बस पानी खरीदने में लगा रहे हैं. जल विशेषज्ञों के अनुसार भारत को जल प्रबंधन सुधारने और भंडारण क्षमता बढ़ाने की तुरंत जरुरत है.
प्रेस की स्वतंत्रता Press Freedom Decline
2025 के विश्व प्रेस सूचकांक में भारत 180 देशों में 151वें स्थान पर आया है. पत्रकारों पर बढ़ते दबाव, कानूनी मुकदमे, टेकडाउन आदेश, ऑनलाइन निगरानी और खतरों ने स्थिति बिगाड़ दी है.
2014 से लेकर अब तक कई पत्रकारों पर कड़े कानून के तहत कार्रवाई हुई है. विशेषज्ञों का कहना है कि लोकतंत्र बस चुनाव से नहीं चलता — स्वतंत्र और सुरक्षित प्रेस लोकतंत्र का असली चौथा स्तंभ है.

