B.ED और D.El.Ed करने के बाद किस पद पर होती है बहाली, जानें- दोनों में क्या है अंतर?

न्यूज डेस्क : देश में कई कोर्सेज हैं, जिसे करने के बाद शैक्षणिक संस्थान में काम करने के रास्ते खुल जाते हैं। इनमें बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.ED) और डिप्लोमा इन एलीमेंटरी एजुकेशन (D.El.Ed) भी है। इन दोनों कोर्स को करने के बाद आप स्कूल में पढ़ा सकते हैं।

लेकिन कई बार लोग बीएड और D.El.Ed के बीच कन्फ्यूज हो जाते हैं। दरअसल दोनों कोर्स का अपना अलग महत्व के साथ उद्देश्य एक है। आइए आज दोनों कोर्सेज के बीच के अंतर को जानते हैं।

बतादें कि B.Ed एक डिग्री कोर्स है। वहीं D.El.Ed करने वाले अभ्यर्थियों को डिप्लोमा की उपाधि दी जाती है। बी.एड शिक्षण से संबंधित दो साल का डिग्री प्रोग्राम है। इस डिग्री के जरिए उम्मीदवार कक्षा 6वीं से 12वीं तक के शिक्षक पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। जबकि D.El.Ed प्राथमिक शिक्षा से संबंधित दो साल का डिप्लोमा प्रोग्राम है। D.El.Ed डिप्लोमा के जरिए अभ्यर्थी कक्षा 1 से 5 तक के शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं।

आपको बता दें, आमतौर पर कई नियुक्तियों में बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षा (कक्षा 1 से 5) के लिए भी पात्र माना जाता है, लेकिन डी.एल.एड अभ्यर्थियों को माध्यमिक और उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए पात्र नहीं माना जाता है।

जो उम्मीदवार प्राथमिक शिक्षा में रुचि रखते हैं, उनके लिए डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन यानी डी.एल.एड. चुनना फायदेमंद हो सकता है। लेकिन जो उम्मीदवार उच्च कक्षाओं में पढ़ाने में रुचि रखते हैं, उन्हें बैचलर ऑफ एजुकेशन यानी बी.एड कोर्स चुनना चाहिए। बी.एड उम्मीदवारों को प्राथमिक और उच्च दोनों कक्षाओं को पढ़ाने की पात्रता प्रदान करता है।