Saturday, July 27, 2024
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Judge Vs Magistrate : जज और मजिस्ट्रेट में क्या है अंतर? किसके पास है ज्यादा पॉवर, जानें- काम करने के तरीके..

Judge Vs Magistrate : भारतीय लोक प्रशासन और न्यायिक प्रणाली दुनिया की सबसे जटिल प्रणालियों में से एक है। यहां ऐसे कई पद हैं जिनकी आवश्यकता और शक्ति के बारे में हम नहीं जानते। ऐसे में आज हम आपसे दो ऐसे शब्दों पर चर्चा कर रहे हैं, जिनके बारे में हम अक्सर सुनते हैं लेकिन उनके बीच का अंतर नहीं जानते हैं। हम बात कर रहे हैं न्यायिक मजिस्ट्रेट और जज के अधिकार, उनकी शक्तियों और इन दोनों पदों के बीच के अंतर के बारे में। तो आइये जानते हैं।

यहां दो तरह के मुकदमे होते हैं, दीवानी और फौजदारी। दीवानी एक उर्दू शब्द है। इसे अंग्रेजी में सिविल और हिंदी में बिहेवियर कहा जाता है। इसी प्रकार फौजदारी भी एक उर्दू शब्द है। इसे अंग्रेजी में क्रिमिनल और हिंदी में दंडिक कहा जाता है। जब आप किसी भी प्रकार के भेदभाव, अपराध, उत्पीड़न या परेशानी का सामना करते हैं तो इसे इन दो प्रकार के मामलों में विभाजित किया जाता है। जज और मजिस्ट्रेट दोनों निचली अदालत में बैठते हैं।

मजिस्ट्रेट कौन होते हैं?

यदि कोई आपराधिक मामला है जिसमें अपराधी को सजा या जुर्माना देना है तो ऐसे मामलों की सुनवाई प्राथमिक स्तर पर न्यायिक मजिस्ट्रेटों द्वारा की जाती है। इन्हें प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट भी कहा जाता है। यहां द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट भी हैं। इन्हें द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट कहा जाता है।

न्यायाधीश

जब मामला सिविल प्रकृति का हो तो उसकी सुनवाई सिविल कोर्ट में होती है। निचली अदालत में ऐसे मामलों की सुनवाई करने वाला व्यक्ति सिविल जज होता है। कॉपी राइट, ट्रेड मार्क, पेटेंट जैसे मामले सिविल प्रकृति के होते हैं।

जिला एवं सत्र न्यायालय

मामले की सुनवाई निचली अदालत के ऊपर जिला स्तर पर होती है। यहां अगर मामला दीवानी है तो जिला अदालत में जाएगा और अगर आपराधिक मामला है तो सेशन कोर्ट में जाएगा। दोनों का स्तर बराबर हैm यही कारण है कि कई स्थानों पर जिला स्तरीय अदालतों के बाहर ‘जिला एवं सत्र न्यायालय’ लिखा होता है।

यहां दोनों जज बन जाते हैं. जिला न्यायाधीश दीवानी मामलों की सुनवाई करेंगे और सत्र न्यायाधीश आपराधिक मामलों की सुनवाई करेंगे।इस प्रकार न्यायाधीश एवं मजिस्ट्रेट की अवधारणा केवल निचली अदालत तक ही सीमित रह जाती है। जिला न्यायाधीश एवं सत्र न्यायालय के बाद मामला सीधे उच्च न्यायालय में जाता है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को न्यायमूर्ति कहा जाता है।

Nitesh Kumar Jha

नितेश कुमार झा पिछले 2.5 साल से thebegusarai.in से बतौर Editor के रूप में जुड़े हैं। इन्हें भारतीय राजनीति समेत एंटरटेनमेंट और बिजनेस से जुड़ी खबरों को लिखने में काफी दिलचस्पी है। इससे पहले वह असम से प्रकाशित अखबार दैनिक पूर्वोदय समेत कई मीडिया संस्थानों में काम किया। उनके लेख प्रभात खबर, दैनिक पूर्वोदय, पूर्वांचल प्रहरी और जनसत्ता जैसे अखबारों में भी प्रकाशित हो चुके हैं। अभी नीतेश दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से MA मास मीडिया कर रहे हैं।