Saturday, July 27, 2024
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कभी आपने सोचा आखिर मंदिर के भीतर नंगे पैर प्रवेश क्यों किया जाता है? वजह जान हिल जाएंगे..

डेस्क : सनातन विश्व के सबसे लोकप्रिय धर्मों में से एक है। इस धर्म में अनगिनत रस्में भी हैं जिनका अर्थ भी बेहद मायने रखता है। सनातन धर्म में पूजा पाठ का अपना अलग एक महत्व बताया गया है। ऐसे ही पूजा पाठ के अलग -अलग नियम भी होते हैं जिनका अनुसरण बेहद जरूरी माना जाता है।

इन्हीं प्रमुख नियमों में से एक प्रमुख नियम है मंदिर के भीतर प्रवेश करते समय जूते और चप्पल प्रवेश द्वार के बाहर ही उतार देना। असल में आपके मन में कभी न कभी यह विचार जरूर आया होगा कि आखिर मंदिर में प्रवेश हमेशा नंगे पैर ही क्यों किया जाता है? हम अभी के मन मे ऐसे विचार आये होंगे और हम सबने किसी न किसी से पूछा भी होगा लेकिन क्या उनका उत्तर संतोषजनक होता है??

मंदिर की पवित्रता के लिए है बेहद जरूरी: सनातन धर्म में धार्मिक स्थलों का विशेष महत्व होता है इन धार्मिक स्थलों पर हम पूजा अर्चना के लिए जाते रहते हैं इन धार्मिक स्थलों की पवित्रता भंग न हो जाए इसके लिए हमें मंदिर में नंगे पाव प्रवेश करना चाहिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर देखें तो बाहर यूज किए हुए जूते चप्पल में लाखों बैक्टीरिया होते हैं इसलिए उन्हें घर में भी प्रवेश नहीं देना चाहिए जिससे आपके जूते चप्पल के साथ-साथ सितारों का भी प्रवेश आपके घर में होता है और बीमारियों का उदय होने लगता है इस स्थिति में मंदिर भी एक पवित्र धार्मिक स्थल होता है जहां पर सारी चीजें होती हैं इसलिए हमें मंदिर में जूते चप्पल में प्रवेश नहीं करना चाहिए

पैरों को धोकर ही करे प्रवेश: हमेशा धार्मिक स्थलों पर जूते चप्पल को बाहर ही निकाल कर अपने हाथ और पैर को अच्छी तरह धोकर ही प्रवेश करें इससे मंदिर की पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है और ऐसा करने से ईश्वर के प्रति आपका सम्मान भी झलकता है

सुमन सौरब

सुमन सौरब thebegusarai.in वेबसाइट में मार्च 2020 से कार्यरत हैं। लगभग 4 साल से डिजिटल मीडिया में काम कर रहे हैं। बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं। इन्होंने LNMU से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। अपने करियर में लगभग सभी विषयों (राजनीति, क्राइम, देश- विदेश, शिक्षा, ऑटो, बिजनेस, क्रिकेट, लाइफस्टाइल, मनोरंजन आदि) पर लेखन का अनुभव रखते हैं। thebegusarai.in पर सबसे पहले और सबसे सटीक खबरें प्रकाशित हों और सही तथ्यों के साथ पाठकों तक पहुंचें, इसी उद्देश्य के साथ सतत लेखन जारी है।