Voting Ink : वोट डालने के बाद उंगली पर लगने वाली स्याही क्यों नहीं छूटती? जानें- क्या है वजह…
Voting Ink : लोकतंत्र में सबसे बड़ा अधिकार अपने मत के अनुसार मतदान करना है। मतदान के बाद लोगों की उंगलियों पर स्याही का निशान लगाया जाता है। इसके पीछे की वजह साफ है कि एक ही व्यक्ति को दो बार वोट नहीं देना चाहिए।
अब गौर करने वाली बात ये है कि ये कौन सी स्याही है जो जल्दी नहीं उतरती। अगर इस स्याही की कीमत की बात करें तो एक बोतल स्याही की कीमत लगभग 127 रुपये है और एक बोतल में लगभग 10 मिलीलीटर स्याही (Voting Ink) होती है। एक लीटर चुनावी स्याही की कीमत 12,700 रुपये है।
भारत में इस स्याही का निर्माण केवल मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा किया जाता है। शुरुआत में इस स्याही का इस्तेमाल केवल लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान किया जाता था, लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल नगर निकायों और सहकारी समितियों के चुनावों में भी किया जाने लगा।
72 घंटे तक रहता है इसका असर
इस नीले रंग की स्याही का इस्तेमाल 1962 के चुनावों से शुरू हुआ। भारत के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने इस स्याही को चुनावों में शामिल करने का सुझाव दिया था। सिल्वर नाइट्रेट का उपयोग चुनाव स्याही बनाने में किया जाता है।
इसलिए एक बार लगाने के बाद यह आसानी से गायब नहीं होता है। यह स्याही कम से कम 72 घंटों तक उंगली से नहीं छूटती। इसके अलावा पानी के संपर्क में आने पर यह काला हो जाता है और लंबे समय तक बना रहता है।