क्या सच में जमीन के नीचे है पाताल लोक? जानिए- क्या कहते हैं वैज्ञानिक….

डेस्क : आपने कई फिल्मों और किताबों में अपने पाताल लोक की कहानी सुनी और देखी होगी। ये कहानी ऐसी है जिस पर आसानी से यकीन नहीं किया जा सकता। लेकिन कई वैज्ञानिक इस पर भी कम काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी.

जिसमें दावा किया गया था कि धरती के अंदर दो पाताल हैं। वहां पहुंचने के लिए 70 हजार योजन यानी करीब 9 लाख 10 हजार किलोमीटर की गहराई तक जाना होगा। अब सवाल यह है कि क्या वाकई पाताल लोक मौजूद है और अगर है तो वह दिखता कैसा है ताकि हम इसके बारे में विस्तार से जान सकें।

पाताल लोक के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिक और धार्मिक मत अलग-अलग हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के अंदर कई परतें हैं, जिनमें क्रस्ट, मेंटल और कोर शामिल हैं। क्रस्ट सबसे बाहरी परत है, मेंटल बीच में है, और कोर सबसे भीतरी परत है। वैज्ञानिकों ने पाया कि मेंटल में तरल पदार्थ और मैग्मा होता है, जो ज्वालामुखी विस्फोट का कारण बनता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि मेंटल में कुछ ठोस क्षेत्र भी हो सकते हैं, जिन्हें ‘पाताल लोक’ कहा जा सकता है।

दो पाताल लोक की खोज

चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने धरती की गहराई में दो पाताल लोक खोजे हैं। इनका निर्माण 4.5 अरब वर्ष पहले हुआ था। यह पृथ्वी के आवरण के नीचे 2900 किलोमीटर की गहराई पर है। बांग्ला रामायण में पाताल की दूरी 1000 योजन यानि लगभग 12,800 किलोमीटर बताई गई है। इसे ऐसे समझें, भारत और श्रीलंका के बीच की दूरी।

अब बात करते हैं धार्मिक दृष्टिकोण से

कई धर्मों में पाताल लोक का जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि जमीन के नीचे एक अदृश्य दुनिया बसी हुई है। हिन्दू धर्म में पाताल लोक को नागों और अन्य पौराणिक प्राणियों का निवास स्थान माना जाता है। कुछ धर्मों में पाताल लोक को मृतकों की आत्माओं का निवास स्थान भी माना जाता है। पाताल लोक के बारे में कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं, लेकिन इनकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो पाई है। हालाँकि, कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि मेंटल में कुछ ठोस क्षेत्र हो सकते हैं, जिन्हें पाताल लोक कहा जा सकता है। यहीं मामला शांत हो जाता है। क्योंकि कोई भी डिवाइस इससे नीचे कभी नहीं गया