vijay sinha: बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजस्व-भूमि सुधार विभाग के मंत्री ने जनता दरबार में लोगों की समस्याएं सुनने के दौरान कुछ ऐसा कहा जिससे वहां मौजूद लोगों के साथ अधिकारी भी चौंक गए. बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ा जाएगा. दरअसल ये बात उन्होंने पूर्णिया में जनता दरबार के दौरान कही.
vijay sinha: अधिकारियों को दी चेतावनी
जनता दरबार के दौरान मंत्री ने अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यह बात आप लोग अच्छी तरह समझ लीजिए कि अगर अधिकारी सही तरीके से काम करेंगे तो उन्हें सरकार का पूरा समर्थन मिलेगा और अगर भ्रष्टाचार या लापरवाही की तो उसके खिलाफ कठोर कदम उठाया जाएगा. आप कहीं भी ट्रांसफर हो जाएं, रिटायर हो जाएं या किसी और जगह चले जाएं मैं आपको छोड़ने वाला नहीं हूं. जो भी गड़बड़ी करेगा, उसका पीछा मैं श्मशान तक करुंगा.
मंत्री के इस बयान के बाद वहां मौजूद लोगों में हलचल मच गई. अधिकारी थोड़ी देर के लिए एक-दूसरे का मुंह देखने लगे. सिंहा ने कहा कि इस कार्यक्रम को करने का मकसद ये है कि आम लोगों की समस्या सीधे सरकार तक पहुंचे और मौके पर ही ज्यादा से ज्यादा परेशानियों का जल्द से जल्द समाधान निकाला जा सके.
vijay sinha: अधिकारियों की लगाई क्लास
जनता दरबार के दौरान डिप्टी सीएम ने लोगों की समस्याएं सुनी. इस दौरान एक विधवा महिला बीबी नासरीम की समस्या सुनने पर डिप्टी सीएम ने तुरंत डीएम और एसपी को हड़काया. उन्होंने कहा कि आप लोगों ने पूर्णिया को तमाशा बनाकर रख दिया है. उप मुख्यमंत्री ने डीएम और एसपी दोनों से कहा कि इस मामले को तुरंत देखिए. महिला को परेशानी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने महिला से कहा कि आप इन दोनों का नंबर लीजिए और काम नहीं हुआ तो मुझे कॉल कर के बताइये.
वहीं एक बुजुर्ग महिला की शिकायत सुनने के बाद उन्होंने अधिकारियों से साफ कहा कि इस समस्या को ध्यान से सुनें. ये लोग ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है, इन्हें समस्या का समाधान जल्द से जल्द करें. लिखकर दीजिए कि क्या रास्ता है. हम लोगों की मदद के लिए बैठे हैं ना कि परेशानी के लिए. एक सप्ताह के अंदर उन्होंने सीओ को महिला का काम करवाने का आदेश दिया.
लोगों की परेशानी सुनने और अधिकारियों को जरुरी निर्देश देने के बाद विजय सिंहा ने लोगों से अपील की कि किसी भी समस्या के लिए वे सबसे पहले अंचल कार्यालय और थाने में शिकायत दर्ज करें. इसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी और जिलाधिकारी तक मामले को ले जाएं. अगर इन दोनों जगहों पर समाधान ना मिले तो मंत्री स्तर पर सुनवाई की जाएगी. जिन लोगों की समस्याएं का समाधान कहीं नहीं हुआ हो या जिन लोगों की कहीं भी सुनवाई नहीं हुई हो उनकी शिकायतें प्राथमिकता पर ली जाएगी.
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