बिहार : अब जमीन दलाल नहीं बना सकेंगे बेवकूफ, नक्शा के रंग से पता चल जायेगा जमीन विवादित है या नहीं, जानें-

न्यूज डेस्क: बिहार में हर साल हजारों की संख्या में जमीनी विवाद को लेकर थाने में केस दर्ज किए जाते हैं। यूं कहे कि राज्य अधिकांश विवाद जमीन को लेकर ही होते हैं। आंकड़ों कि बात करें तो साल 2021 में 3336 केस केवल जमीन विवाद के संबंध में दर्ज कराया गया था। यह आंकड़ा छोटा नहीं है। इससे पता चलता है कि प्रदेश में जमीनी विवाद किस हद तक पैर पसार रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने पहल की है।

अब जमीन खरीदते समय ही कंप्यूटर पर एक क्लिक में यह जाना जा सकेगा की खरीदे जा रहे जमीन विवादित है या नहीं। दरअसल किसी भी विवाद की स्थिति में पुलिस कंप्यूटर पर एक क्लिक के माध्यम से अपने क्षेत्र में कौनसा प्लॉट विवादित है यह आसानी से पता कर लेगी।

भूमि की जीआईएस मैपिंग (भौगोलिक सूचना प्रणाली) में भूमि की प्रकृति और उसके विवाद को रंग के आधार पर दिखाया जाएगा। इसमें लाल, पीले और हरे रंग का इस्तेमाल किया जाएगा। नक्शे में लाल रंग का मतलब होगा कि जमीन खरीदी नहीं जानी है, इस पर विवाद चल रहा है। इस संबंध में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्हीं के आदेश पर भू समाधान पोर्टल को अपडेट किया जा रहा है।

जीआईएस मैपिंग के जरिए होगी निगरानी

जीआईएस मैपिंग के जरिए बढ़ रहे भूमि विवाद और उससे होने वाले अपराधों पर नजर रखी जा रही है, जिसमें विवादित जमीन को अलग-अलग रंगों से चिन्हित किया गया है. अब जीआईएस मैपिंग से काफी सहूलियत होगी। जमीन का विवाद सुलझ जाए तो नक्शे में उसका रंग बदल जाता है। इससे पता चलता है कि विवादित भूमि की वर्तमान स्थिति क्या है।

इस समय ही कर लिया जाएगा चेक

इस नई व्यवस्था से पहले मैपिंग में सामान्य, संवेदनशील और अति संवेदनशील विवादित स्थलों को ही अलग-अलग रंगों से दिखाया जाता था। इससे थाना क्षेत्र की जानकारी नहीं हो सकी। अब समस्त विवादित भूमि का थानावार डाटा अपलोड किया जायेगा, भूमि विलेख के समय ही विवादित भूमि का चिन्हांकन किया जायेगा।

मैपिंग से जुड़े थानों या ओपी के लोकेशन और मोबाइल नंबर की भी एंट्री की जा रही है। इसमें थाने का लैंडलाइन नंबर और थानाध्यक्ष का मोबाइल नंबर भी दर्ज होगा। लोकेशन और नंबर की मदद से लोग संबंधित थानों से विवादित भूमि के संबंध में तत्काल जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।