बिहार : जातिगत जनगणना पर लगेगी रोक? अब सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई..

जातिगत जनगणना: बिहार के नीतीश सरकार लगातार जातिगत जनगणना कराने के लिए प्रयास कर रही है नीतीश सरकार का एजेंडा अब जातिगत जनगणना पर आकर रुक गया है एक तरफ जहां बिहार सरकार जातिगत जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है

वहीं अगर बात की जाए तो देश में पिछले 12 साल से जनगणना का कोई भी कार्य नहीं हुआ है अगर बात की जाए तो हर 10 साल पर देश की जनगणना होती है जिसमें देश में रहने वाले सभी नागरिकों का डाटा सुरक्षित किया जाता है लेकिन पिछले 12 साल से भारत में जनगणना का कार्य नहीं हुआ है, देश में आखरी जनगणना 2010-2011 के समय में हुई थी

इस याचिका में क्या कहा गया?

इस याचिका में यह कहा गया है कि बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी 06.06.2022 की अधिसूचना पर कार्रवाई का कारण भी सामने आया है, जिसमें सरकार के जातिगत जनगणना करने के निर्णय को मीडिया और जनता को सूचित भी किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि बिहार राज्य का फैसला अवैध, मनमाना, तर्कहीन, असंवैधानिक और कानून के अधिकार के बिना ही है।

प्रदेश में हैं 200 से अधिक जातियां

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बिहार में 200 से अधिक जातियां हैं और उन सभी जातियों को सामान्य श्रेणी, OBC, EBC, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के रूप में बांटा भी गया है। इस याचिका के अनुसार, बिहार राज्य में कुल 113 जातियां हैं, जो OBC और EBC के रूप में जानी जाती हैं, 8 जातियां उच्च जाति की श्रेणी में शामिल हैं। वहीं, लगभग 22 उप-जाति अनुसूचित की श्रेणी में भी शामिल हैं और 29 अनुसूचित जातियां भी हैं।