Bihar की अहम सीट माने जाने वाले बेगूसराय संसदीय सीट पर कांग्रेस पार्टी की है नजर…

संसदीय चुनाव सामने है। इंडी गठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर चर्चा जारी है। बिहार की एक अहम सीट माने जाने वाली बेगूसराय सीट पर कांग्रेस पार्टी की नजर भी है। बिहार के ईंडी गठबंधन के मुख्य दलों राजद, जदयू, कांग्रेस और वामदलों के बीच बेगूसराय की सीट अहम है।

यहां से वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सांसद हैं। बेगूसराय सीट पर राजद, सीपीआई और कांग्रेस के साथ साथ जदयू की भी नजर है। बेगूसराय अपने कारखानों और राजनीतिक जागरूकता को लेकर बिहार में अपनी खास जगह रखता है। यहां से राज्य की राजनीति भी तय होती है। इसीलिए ईंडी गठबंधन के प्रमुख दलों की इस सीट पर दावेदारी महत्वपूर्ण हो जाती है।

कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद से ही इस सीट पर कब्जा बनाए रखी। वर्ष 1946 से लेकर 1967 तक लगातार कांग्रेस के एमपी ही चुनते रहे। लेकिन, 1967 में सीपीआई ने चुनौती देते हुए तब के कांग्रेस विरोधी गठबंधन की वजह से इस सीट पर कब्जा कर लिया। लेकिन, 1972 में फिर कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया।

1977 के जनता लहर को छोड़ दिया जाए तो 1980से लेकर 1996 तक फिर कांग्रेस पार्टी का बेगूसराय सीट पर कब्जा रहा। हालांकि 1989 और 1996 में उसे बेदखल होना पड़ा था। लेकिन,1998से 2004 तक फिर कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। अब आगामी चुनाव में कांग्रेस पार्टी एकबार फिर बेगूसराय सीट को अपने पाले में लाने के लिए प्रयत्नशील है। इसके लिए राज्य नेतृत्व ने सीट दावेदारी भी की है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने पिछले दिनों जिले के एक बुजुर्ग और अनुभवी नेता से इस संबंध में राय-मशविरा भी किया और सीट पर अपनी दावेदारी की बात कही। कांग्रेस की इस सीट पर दावेदारी होने के बाद उम्मीदवार को लेकर भी चर्चा तेज रही।

कांग्रेस की बेगूसराय सीट होने पर कांग्रेस पार्टी की ओर सबसे प्रमुख नाम सीपीआई से आए कन्हैया कुमार, पूर्व विधायक अमिता भूषण और वर्तमान जिलाध्यक्ष अभय कुमार सिंह सारजन का है। इसके अलावा भी अन्य नामों की चर्चा है। सीपीआई की भी इस सीट पर दावेदारी है। कांग्रेस को यह सीट अपनी परंपरागत सीट में शुमार है और सीपीआई के साथ लगातार टकराव की वजह से उसकी दावेदारी को उसके नेता सही ठहरा रहे हैं।