Bihar Bhoomi: बिहार में सबसे अधिक समस्या जमीन को लेकर होती है. बिहार के शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए जमीन से जुड़ी परेशानियां अब खत्म होने की कगार पर है. बिहार सरकार इस पर दोतरफा काम कर रही है. एक तरफ सरकार ने वर्षों से उलझी वंशावली यानि फैमिली ट्री की समस्या का समाधान निकाल लिया है. दूसरी तरफ सरकार ने उद्दोग लगाने वालों के लिए सरकारी जमीन की तलाश भी अब महज एक क्लिक की दूरी पर कर दी है. बिहार सरकार के ये दोनों फैसले शहरी विकास की जमीन व्यवस्था को आसान, पारदर्शी और नागरिक केंद्रित बनाने की दिशा के बड़े कदम माने जा रहे हैं.
Bihar Bhoomi: वंशावली के लिए फैसला
बिहार सरकार के द्वारा कई फैसले लिए गए हैं जिससे लोगों की परेशानियां आसान हो जाएगी. अब वंशावली के लिए नगर निगम नहीं बल्कि सीधे CO के पास जाएं. अब तक शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही होता था कि वंशावली आखिर बनाएगा कौन? ग्रामीण इलाकों में यह अधिकार सरपंच के पास था लेकिन नगर-निगम, नगर-परिषद और नगर पंचायत क्षेत्रों में कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी. इस फैसले के बाद अब नगर निगम या नगर परिषद के चक्कर नहीं लगाने होंगे.
इस वजह से लोग नामांतरण, बंटवारे औक कोर्ट-कचहरी के कामों के लिए दफ्तर-दर-दफ्तर भटकते रहते थे. अब इस भ्रम पर पूरी तरह विराम लग गया है. राज्य के उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में सरकार ने फैसला लिया है. शहरी क्षेत्रों में वंशावली जारी करने का अधिकार अब सीधे अंचलाधिकारी(CO) के पास होगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव सीके अनिल द्वारा जारी आदेश के बाद ये व्यव्स्था तत्काल प्रभाव से लागू हो चुकी है.
Bihar Bhoomi: क्यों जरुरी था फैसला
आदेश में ये साफ कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में वंशावली जारी करने को लेकर अब तक कोई भी स्पष्ट प्राधिकार नहीं तय था. 18 दिसंबर को विधि विभाग ने इस अधिकार को अंचलाधिकारी को देने पर सहमति जताई और आदेश जारी किया गया. डिप्टी सीएम का कहना है कि इससे लोगों को समयबद्ध, पारदर्शी और सुलभ सेवा मिलेगी और जमीन से जुड़े मामलों में परेशानी कम होगी.
क्या होती थी परेशानी
-संपत्ति बंटवारे में देरी
-नामांतरण और दाखिल-खारिज में अड़चन
-न्यायिक मामलों में अनावश्यक उलझन
Bihar Bhoomi: जमीन के कागज हुए डिजिटल
सरकार ने जनता को इस कड़ी में एक और बड़ी राहत दी है. राजस्व अभिलेखों की नकल को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया है. इसके लिए डिजिटल हस्ताक्षरित नकल वैधानिक होगी, दफ्तर जाने की जरुरत नहीं होगी और घर बैठे ऑनलाइन जमीन के कागजात मिलेंगे. इन फैसलों से शहरी नागरिकों के लिए जमीन के कागज अब फाइलों की जगह उनके जेब में होगी.
Bihar Bhoomi: लैंड बैंक पोर्टल
सरकार बिहार में हर किसी को जमीन से जुड़े मामलों में राहत देने के मूड में दिख रही है. एक तरफ सरकार वंशावली और कागजात डिजिटल करके जमीन से जुड़े नीजी मामलों में राहत दे रही है दूसरी तरफ सरकार निवेशकों और उद्दमियों के लिए भी बड़ा दांव खेल रही है.
Bihar Bhoomi: क्या है तैयारी?
बिहार सरकार राज्य के सभी 38 जिलों में लैंड बैंक पोर्टल विकसित करने जा रही है. इस पोर्टल पर सारी जानकारी उपलब्ध रहेगी. अब तक सरकारी जमीन की जानकारी अलग-अलग कार्यालयों में बिखरी रहती थी. इसका फायदा बिचौलिये उठाते थे और निवेशकों को सालों तक इंतजार करना पड़ता था. सरकारी जमीन के अवैध हस्तांतरण के मामलों को देखते हुए सरकार ने साफ संकेत दिए हैं कि अब किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
पोर्टल पर क्या रहेगी जानकारी
-जिलेवार सरकारी जमीन का पूरा ब्यौरा
-जमीन की लोकेशन और रकबा
-अन्य जरुरी विवरण
पोर्टल से क्या होंगे फायदे
-जमीन आवंटन प्रक्रिया होगी पारदर्शी
-अधिकांश काम होगा ऑनलाइन
-मानवीय हस्तक्षेप में आएगी कमी
-विवाद और फर्जीवाड़े पर रोक
-अवैध कब्जे और फर्जीवाड़े पर सख्ती
वंशावली की स्पष्ट व्यवस्था, डिजिटल जमीन रिकार्ड और लैंड बैंक पोर्टल अगर इन तीनों पर प्रभावी काम हुआ तो ये तीनों व्यवस्था मिलकर आने वाले समय में शहरी बिहार में जमीन से जुड़ी परेशानी, विवाद और भ्रष्टाचार तीनों को बहुत हद तक खत्म कर देंगी. यह बदलाव बस कागजों पर नहीं बल्कि आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी में असर डालेगा.

