Ahmedabad Plane Crash

अहमदाबाद प्लेन हादसे में बेगूसराय के रितेश मलबे से ज़िंदा निकला, अमित शाह ने की मुलाकात..

Ahmedabad Plane Crash : गुजरात के अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे की मार्मिक गूंज अब बेगूसराय तक पहुंच गई है। वजह है चेरिया बरियारपुर प्रखंड क्षेत्र के मेहदा शाहपुर गांव का 24 वर्षीय रितेश शर्मा, जो इस प्लेन हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया है।

हादसे के वक्त कैंटीन में था रितेश

बेगूसराय के रितेश शर्मा अहमदाबाद स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है। वह डॉक्टर बनने के सपने के साथ 2023 में नीट (NEET) परीक्षा पास कर गुजरात पहुंचा था। हादसे के वक्त रितेश अपने कुछ दोस्तों के साथ कॉलेज कैंटीन में खाना खा रहा था। तभी आसमान से आई आफत ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। विमान की इमारत से टक्कर के बाद जबरदस्त धमाका हुआ और कैंटीन की छत भरभराकर गिर गई। इस दौरान मेस में खाना खा रहे 4-5 छात्रों की मौके पर ही मौत हो गई। लेकिन रितेश की किस्मत थोड़ी अच्छी थी, वह ज़िंदा बच गया। हालांकि, उसे गंभीर चोटें आई हैं और उसका एक पैर फ्रैक्चर हो चुका है।

मां की आंखों से छलकते शब्द

घटना की खबर मिलते ही रितेश की मां ने बताया कि-

“अनजान से नंबर से मुझे एक कॉल आया है। पहले पूछा गया कि क्या रितेश के पेरेंट्स बोल रहे हैं, तो मैंने कहा कि हां। फिर जवाब आया कि एक हादसा हो गया है, जिसमें उसका पैर फ्रैक्चर हो गया है। हम उसे अस्पताल में भर्ती करवाने जा रहे हैं।”

अमित शाह ने की मुलाकात, बढ़ाया हौसला

इस हादसे के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अस्पताल पहुंचकर रितेश से मुलाकात की। उन्होंने उसकी हालत पूछी, परिजनों से बात की और मुश्किल घड़ी में उसे मानसिक संबल और हौसला दिया। यह मुलाकात रितेश और उसके परिवार के लिए भावनात्मक रूप से बड़ी राहत बनी।

पहले ही खो चुका है एक बेटा

रितेश के परिवार पर दुखों का पहाड़ पहले से ही टूटा हुआ है। उसके बड़े भाई की कुछ साल पहले सड़क हादसे में मृत्यु हो चुकी है। अब जब रितेश के साथ यह हादसा हुआ, तो परिवार पूरी तरह सदमे में है। मां-बाप को डर सता रहा है कि कहीं वे एक और बेटे को ना खो दें। मगर इसी बीच ईश्वर का शुक्र मना रहे हैं कि रितेश की जान बच गई।

पिता ज़मीन बेचकर बेटे को भेजा था पढ़ने

रितेश के पिता ललन शर्मा पेशे से एक साधारण कारपेंटर हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। लेकिन बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना इतना बड़ा था कि उन्होंने अपनी सारी ज़मीन बेच दी और कर्ज लेकर उसकी पढ़ाई का खर्च उठा रहे हैं। गांव वालों की माने तो ललन शर्मा दिन-रात मेहनत करते हैं ताकि उनका बेटा किसी दिन “डॉ. रितेश शर्मा” बनकर उनका सिर गर्व से ऊंचा करे। मगर अब ये सपना और भी कठिन हो गया है।

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