Begusarai News : बरौनी रिफाइनरी में हाल ही में प्रकाशित जूनियर ऑफिसर भर्ती विज्ञप्ति को लेकर स्थानीय युवाओं में नाराज़गी बढ़ गई है। इस भर्ती में केवल डिप्लोमा धारकों को ही पात्र माना गया है, जिससे बी.एससी. और एम.एससी. जैसे विज्ञान स्नातक छात्र खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
AISF और AIYF ने उठाई आवाज़
ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन (AIYF) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) ने इस मुद्दे पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रिफाइनरी प्रबंधन और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। एआईएसएफ के राष्ट्रीय सचिव अमीन हमजा, एआईवाईएफ के राज्य अध्यक्ष शंभू देवा और एआईवाईएफ बेगूसराय के जिला मंत्री धीरेंद्र कुमार ने कहा कि—
- हजारों छात्र बरौनी रिफाइनरी में नौकरी की उम्मीद से विज्ञान विषय चुनते हैं, लेकिन इस फैसले से उनके अरमान चकनाचूर हो गए।
- भर्ती केंद्रीय स्तर पर होने के कारण राज्य सरकार का आरक्षण लागू नहीं होगा, जिससे स्थानीय युवाओं को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
प्रदूषण झेल रहे स्थानीय, नौकरी में बाहरियों को प्राथमिकता : नेताओं ने कहा कि बरौनी रिफाइनरी के प्रदूषण का सीधा असर गोविंदपुर, कैलाशपुर, सबौरा और केशावे समेत कई गांवों पर पड़ रहा है। कैंसर और अस्थमा जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं, वहीं अरहर, पपीता, अमरूद और आलू जैसी फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। बावजूद इसके, जब नौकरी देने की बारी आती है तो स्थानीय युवाओं को नज़रअंदाज़ कर बाहरी लोगों को मौका दिया जाता है।
राजनीति का अड्डा बनी रिफाइनरी : आरोप लगाया गया कि बरौनी रिफाइनरी अब “राजनीति का अड्डा” बन चुकी है। एक केंद्रीय मंत्री अपने कार्यकर्ताओं के साथ गेस्ट हाउस पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और रिफाइनरी के खर्च पर पार्टी की बैठकें आयोजित करवा रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी दावा किया गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रिफाइनरी के करोड़ों रुपये चुनावी खर्च में लगाने वाले हैं।
मोदी सरकार पर बड़ा हमला : नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बिहार की संपत्ति कॉर्पोरेट घरानों को बेच रहे हैं। भागलपुर में 1050 एकड़ ज़मीन मात्र एक रुपये सालाना दर पर अडानी समूह को देने का फैसला इसका उदाहरण है। साथ ही आरोप लगाया कि चुनावी मौसम देखते हुए सरकार ने अचानक जीएसटी दरों में कटौती की है, जबकि अब तक जीएसटी के नाम पर छोटे व्यापारियों को लूटा गया।
AISF और AIYF नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर बरौनी रिफाइनरी में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता नहीं दी गई तो ज़बरदस्त आंदोलन होगा।