बेगूसराय। काबर किसानों की समस्याओं को लेकर 18 सितंबर (गुरुवार) से मंझौल शताब्दी मैदान में आमरण अनशन की शुरुआत हुई। किसान नेता बल्लभ बादशाह के नेतृत्व में किसानों, मजदूरों और मछुआरों ने दशकों से लंबित माँगों को लेकर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया।
शुरुआत में धरना-प्रदर्शन अनुमंडल कार्यालय के नजदीक प्रस्तावित था, लेकिन प्रशासन द्वारा विरोध और बल प्रयोग के बाद इसे शताब्दी मैदान में स्थानांतरित करना पड़ा।
अनशन स्थल पर मौजूद किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि कृषि प्रधान देश भारत में बेगूसराय के किसानों को सरकार और प्रशासन से सहयोग नहीं मिल रहा है। इसके बजाय प्रशासन दमनकारी रवैया अपनाकर शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रहा है।
किसानों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को याद दिलाया कि जनवरी 2025 के कार्यक्रम में उन्होंने आश्वासन दिया था कि काबर झील के लिए 6500 एकड़ जमीन अलग की जाएगी और शेष जमीन किसानों को लौटा दी जाएगी। लेकिन सात महीने बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उल्टा चेक डैम बनाकर जमीन को जलप्लावित किया गया और राजस्व महाभियान में भी काबर की जमीन को अनदेखा कर दिया गया।
मुख्य माँगें
- 6500 एकड़ अभयारण्य की जमीन छोड़ बाकी जमीन की रजिस्ट्री तत्काल चालू की जाए।
- किसानों के लिए जॉइंट कमिटी और अलग कोर्ट का गठन हो।
- जिला गजट में जारी पूर्व की अधिसूचनाएँ रद्द की जाएँ।
बल्लभ बादशाह ने कहा, ‘आमरण अनशन लोकतांत्रिक अधिकार है। यदि सरकार ने किसानों की माँग पूरी नहीं की तो यह आंदोलन सड़क से सदन तक जारी रहेगा।’