Begusarai

चुनावी मौसम में पुल पर सियासत : बूढ़ी गंडक पर चेरियां घाट पुल बना श्रेय की लड़ाई का केंद्र

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बेगूसराय | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज़ हो गई हैं। स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों को लेकर दावेदारी भी अब खुलकर सामने आने लगी है। ऐसा ही एक मामला बेगूसराय जिले के चेरियां घाट पुल को लेकर देखने को मिल रहा है, जो इस वक्त भाजपा और राजद के विधायकों के बीच श्रेय की सियासत का केंद्र बन गया है।

दरअसल, बूढ़ी गंडक नदी पर SH-55 से चेरिया घाट तक पीसीसी सड़क और 278.96 मीटर लंबे उच्च स्तरीय आरसीसी पुल का निर्माण कराया जाना है। इस पुल के निर्माण पर लगभग ₹24 करोड़ 80 लाख 23 हज़ार की लागत आएगी। परियोजना को बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मंज़ूरी दी गई है और तकनीकी स्वीकृति के लिए इसे भागलपुर के अधीक्षण अभियंता को भेजा गया था। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना से इस परियोजना का शिलान्यास किया।

पुल पर श्रेय की जंग

इस पुल का एक छोर बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में है, जबकि दूसरा छोर चेरियाबरियारपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। इसी कारण से दोनों क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों में पुल को लेकर राजनीतिक दावेदारी शुरू हो गई है।

बछवाड़ा के भाजपा विधायक और राज्य के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता ने शिलान्यास के अवसर पर पुल को बिहार की एनडीए सरकार की उपलब्धि बताया। वहीं, चेरियाबरियारपुर के राजद विधायक राजवंशी महतो ने इसे अपनी वर्षों पुरानी मांग का परिणाम बताते हुए श्रेय का दावा किया। चुनाव के माहौल में यह श्रेय लेने की होड़ स्वाभाविक है, लेकिन इसने पुल को राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है।

35 साल पुरानी मांग

यह पुल चेरियाबरियारपुर थाना और प्रखंड मुख्यालय को चेरियां गांव से जोड़ने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आज़ादी के बाद से ही इस मार्ग पर पुल बनाने की मांग उठती रही है। वर्ष 1990 में तत्कालीन विधायक व मंत्री रामजीवन सिंह के कार्यकाल में स्थानीय ग्रामीणों — मणिकांत राय, स्व. राजकिशोर राय, राय रामनंदन शर्मा सहित अन्य ने इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया था। लेकिन नेताओं और अधिकारियों के सैकड़ों आश्वासनों के बावजूद निर्माण कार्य कभी शुरू नहीं हो सका।

विक्रमपुर, रामपुर घाट, इसफा घाट, छतौना आदि जगहों पर पुल बन जाने के बावजूद चेरियां गांव के लोग आज भी नाव से नदी पार करने को मजबूर हैं। प्रसव कराने वाली महिलाओं से लेकर छात्रों और बुज़ुर्गों तक को नाव से पार उतरकर ही प्रखंड और जिला मुख्यालय पहुँचना पड़ता है।

चुनाव और पुल का राजनीतिक इतिहास

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान यह पुल तब सुर्खियों में आया था जब सांसद गिरिराज सिंह के “गमछा रखने” को लेकर ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया था। इसके बाद गिरिराज सिंह ने पुल निर्माण की पहल का भरोसा दिलाया। हाल ही में उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर पुल निर्माण से जुड़ा सरकारी पत्र साझा किया, जिसके बाद ग्रामीणों में उत्साह देखा गया।

अब चुनावी समय में पुल का शिलान्यास तो कर दिया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों में एक आशंका भी है —
“वोट के वक्त श्रेय लेने की होड़ तो है, लेकिन निर्माण की शुरुआत कब होगी?”

ग्रामीणों का कहना है कि कहीं यह पुल भी चुनावी वादों की तरह अधूरा न रह जाए।

मुख्य तथ्य एक नज़र में:

  • पुल की लंबाई : 278.96 मीटर
  • लागत : ₹24.80 करोड़
  • स्थान : बूढ़ी गंडक नदी पर चेरियां घाट
  • विधानसभा क्षेत्र : बछवाड़ा (भाजपा) व चेरियाबरियारपुर (राजद)
  • शिलान्यास : सीएम नीतीश कुमार द्वारा, पटना से
  • राजनीतिक स्थिति : दोनों दलों के विधायकों में श्रेय को लेकर दावेदारी

अब देखना यह होगा कि चुनावी माहौल में जिस पुल पर सियासत गरमाई है, क्या वह चुनाव के बाद वास्तव में बन पाएगा या फिर यह भी सिर्फ़ एक चुनावी वादा बनकर रह जाएगा।

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