Begusarai News : प्रशासन का ऑपरेशन बुलडोजर लगातार चौथे दिन भी जारी है. बेगूसराय में अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन की इस पहल में जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम पूरी मुस्तैदी से जुटी हुई है. शुक्रवार को लोहियानगर गुमटी के पास स्थित झोपड़पट्टी में प्रशासन और नगर निगम की टीम सवेरे पहुंची और बुलडोजर अभियान चालू हो गया.
बेगूसराय में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियान की चर्चा हर तरफ हो रही है लेकिन वहां मौजूद लोग जिनके घर टूट रहे हैं, जिनका बसेरा खत्म हो गया उनके दर्द को प्रशासन और नेता दोनों ही नजरअंदाज कर रहे हैं. महिलाएं छाती पीट-पीटकर रो रही हैं और पूछ रही है कि आखिर अब हम अपना घर बार और छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएं? अब तक सैकड़ों घर टूट चुके हैं. पूरे इलाके में अफरा-तफरी मची हुई है.
जहां एक तरफ प्रशासन अपनी कार्रवाई को आवश्यक बता रहा है वहीं दूसरी ओर उजड़ते परिवारों का दर्द और रोती बिलखती तस्वीरें लोगों को अंदर तक झकझोड़ रही हैं. घर मलबे के ढे़रों में तब्दील हो चुके हैं. महिलाएं रोती बिलखती दिख रही हैं.
पुरुषों के आंख में जहां हताशा है तो बच्चों के आंखों में है अनगिनत सवाल. बुलडोजर और भीड़ के शोर में बस एक ही सवाल बार-बार सामने आ रहा है – आखिर अब हम कहां जाएं? उनके पास भले ही कागज हो ना हो, लेकिन उनका घर तो था- जहां उनकी जिंदगी चल रही है. झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों का कहना साफ है- यदि हमें नोटिस दिया होता, रहने की जगह दी होती तो हम खुद हट जाते…पर अचानक घर तोड़ देना, ये कैसा इंसाफ है?
एक बुजुर्ग महिला ने रोते-फफकते हुए कहा –साहब घर मत तोड़िए बहुत ठंड हैं, हम कहां जाएंगे? अफसोस ये आवाज धूल और मशीनों के बीच ही दब के रह गई. बीते 4 दिनों से चल रहा यह अभियान बड़े स्तर पर गुरुवार को चला जिसमें सैकड़ों लोगों के घर जमींदोज हो गए.
इस अभियान का सबसे ज्यादा नुकसान उन गरीब लोग और मजदूरों को हुआ जो टीन- टप्पर से घर बना कर रह रहे थे. लोगों के हाथ में चाबियां थी पर घर टूट चुके हैं. प्रशासन का कहना है कि ये जमीन जिनपर ये लोग रह रहे हैं वो सरकारी है और इसे खाली कराना जरुरी है. लोगों की शिकायत यह है कि उन्हें प्रशासन की ओर से ना ही वैकल्पिक व्यवस्था दी गई और ना ही घर हटाने के लिए पर्याप्त समय मिला.
अब सभी परिवार खुले आसमान के नीचे हैं. सामान बिखरा पड़ा है और बच्चे बूढ़े सहमे हुए हैं. लोगों के मन में यह सवाल है कि अब जाएं कहा? अब सवाल ये उठता है कि प्रशासन की कार्रवाई उचित है या अनुचित. लेकिन इससे भी बड़ा सवाल ये है कि ये लोग अब आखिर कहां रहेंगे? अतिक्रमण हटाना प्रशासन की मजबूरी है लेकिन बिना पुर्नवास और वैकल्पिक व्यवस्था के सैकड़ों गरीब परिवार का बेघर होना इस पूरे अभियान को कटघरे में खड़ा करता है.

