पटना/बेगूसराय: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज़ है और इसी बीच केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान इस बार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं, और खास बात यह है कि वह किसी आरक्षित सीट की बजाय सामान्य सीट से चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं।
लोजपा की परंपरागत सीट पर नजर
लोजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अपने मजबूत जनाधार वाली परंपरागत विधानसभा सीटों की तलाश कर रही है, जहां से चिराग पासवान चुनाव लड़ सकें। इसमें सबसे आगे बेगूसराय जिले की चेरिया बरियारपुर विधानसभा सीट का नाम सामने आ रहा है, जिसे लोजपा की परंपरागत और प्रभावशाली सीट माना जाता है।
चेरिया बरियारपुर सीट क्यों खास?
चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र न केवल सामान्य सीट है, बल्कि इस पर लोजपा का वर्षों से मजबूत जनाधार भी रहा है।
वर्ष 2005 के बाद से लोजपा लगातार इस सीट से चुनाव लड़ती रही है और पार्टी के विधायक भी यहां चुने जाते रहे हैं।
जब नेता पूरे बिहार का है, तो सीट का दायरा क्यों सीमित हो ?
— Arun Bharti (@ArunBhartiLJP) June 1, 2025
कार्यकर्ताओं की यह भी भावना है कि इस बार @iChiragPaswan जी बिहार विधानसभा के चुनाव में किसी आरक्षित सीट से नहीं, बल्कि एक सामान्य सीट से चुनाव लड़ें – चिराग पासवान अब सिर्फ़ एक समुदाय की नहीं, पूरे बिहार की उम्मीद हैं।
रामविलास पासवान से रहा है पुराने नाते का संबंध
इस सीट को लेकर चिराग पासवान का पारिवारिक और भावनात्मक रिश्ता भी बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, पूर्व विधायक रामजीवन सिंह वही नेता हैं, जिन्होंने 1969 में रामविलास पासवान को पहली बार अलौली से टिकट दिलवाया था और चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाई थी। गौरतलब है कि उस वक्त गढ़पुरा ब्लॉक, जो अब बेगूसराय जिले में है, तब अलौली विधानसभा क्षेत्र में आता था।
बाद के वर्षों में रामजीवन सिंह कई बार चेरिया बरियारपुर से विधायक बने और रामविलास पासवान हमेशा उनके प्रचार में शामिल होते थे। ऐसे में चेरिया बरियारपुर से पासवान परिवार का जुड़ाव दशकों पुराना है।
क्या चिराग उतरेंगे मैदान में?
इन ऐतिहासिक और रणनीतिक वजहों को देखते हुए चेरिया बरियारपुर से चिराग पासवान का चुनाव लड़ना एक राजनीतिक रूप से सशक्त और प्रतीकात्मक फैसला हो सकता है। हालांकि, अभी तक इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन सियासी गलियारों में अटकलें ज़ोरों पर हैं।