बेगूसराय संसदीय क्षेत्र, दिग्गजों की जमेगी जोड़ी….

बिहार का महत्वपूर्ण जिला और संसदीय क्षेत्र है बेगूसराय । संसदीय क्षेत्र पर पिछले दो चुनावों से भाजपा का कब्जा है। कभी कांग्रेस और सीपीआई की चर्चित इस सीट पर वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में अभ्युदय के साथ भाजपा के भोला सिंह ने कब्जा जमाया। उससे पहले कभी भाजपा यहां से नहीं जीत पायी थी।

लेकिन, मोदी लहर ने यहां भाजपा की पैठ गहरी कर दी। वर्ष 2014 में भाजपा के भोला सिंह ने यहां से राजद के तनवीर हसन को हराया और सीपीआई जदयू गठबंधन के सीपीआई प्रत्याशी तीसरे पायदान पर चले गए। राजद उम्मीदवार के पक्ष में मुस्लिम वोटरों की गोलबंदी और जातीय समीकरण के बावजूद वे भाजपा उम्मीदवार के समक्ष टिक नहीं पाए।

वर्ष 2019 में भाजपा ने यहां से अपने उम्मीदवार बदल दिए। भाजपा ने अपने फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह को यहां से उतारा। उनका मुकाबला सीपीआई के युवा चर्चित छात्र नेता तब के उम्मीदवार कन्हैया कुमार और राजद के तनवीर हसन से हुआ। गिरिराज सिंह ने सीपीआई के कन्हैया कुमार को वोटों के बड़े अंतर से हराया। राजद के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर चले गए।

कन्हैया कुमार के पक्ष में तब देश के नामी भाजपा विरोधी हस्तियां चुनाव प्रचार में आए थे। भाजपा ने गिरिराज सिंह को केंद्र में मंत्री बनाया और वर्तमान मू भी वे केंद्रीय मंत्री हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के सशक्त उम्मीदवार माने जाते हैं। यूं भाजपा से यहां के लिए कई उम्मीदवार लाईन में हैं। उनमें राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा गिरिराज सिंह के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी माने जा रहे हैं। वे भी पिछले तीन बरसों से बेगूसराय संसदीय क्षेत्र में घूम रहे हैं। उनका गृह जिला भी बेगूसराय है‌, जबकि, गिरिराज सिंह लखीसराय जिले के हैं ,जो मुंगेर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।

राकेश सिन्हा आरएसएस की पसंद भी कहे जाते हैं। जिले में वर्तमान में भाजपा के दो सांसद ,दो विधायक और एक विधान पार्षद हैं। ये सभी जिले में अपने तरीके से सक्रिय हैं। लेकिन , राज्यसभा सांसद का जनसंपर्क सबसे सघन है। इसे लेकर भाजपा के अंदर खाने गुटबंदी भी जबरदस्त है।पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही जिले के एक पूर्व पार्षद जो टिकट के दावेदार थे, भाजपा की सांगठनिक राजनीति से अलग-अलग से हैं और इस बार भी उम्मीदवारी के दावेदार हैं।

यूं केन्द्रीय नेतृत्व से नजदीकी की वजह से यहां से गिरिराज सिंह को टिकट पक्का माना जाता है। पिछले लोकसभा चुनाव के समय से ही जिला पार्टी के अंदर गिरिराज सिंह के विरूद्ध लाबी तेज है। लेकिन, संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य और अपने चर्चित बयानों को लेकर वे आमलोगों की पसंद भी माने जाते हैं। ईडी गठबंधन में यह सीट सीपीआई या कांग्रेस के खाते में जा सकती है।

सीपीआई से यहां पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह पुर्व विधायक अवधेश कुमार या राजेन्द्र प्रसाद सिंह हो सकते हैं। जबकि, कांग्रेस को सीट मिलने पर एकबार सीपीआई से कांग्रेस आई में गए चर्चित कन्हैया कुमार यहां से उतारे जा सकते हैं। उनके उम्मीदवार नहीं बनने पर पूर्व विधायक अमिता भूषण या कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अभय कुमार सिंह सारजन उम्मीदवार हो सकते हैं। राजद कोटा होने पर एकबार फिर तनवीर हसन या वर्तमान विधायक राजवंशी महतो की दावेदारी तेज है। भूमिहार बाहुल्य क्षेत्र होंने के कारण दोनों गठबंधन से भूमिहार प्रत्याशी होने की प्रबल संभावना है। यूं चुनाव राजनीति में कुछ भी संभव है।