आखिर सड़क किनारे लगे ये रिफ्लेक्टर को कैसे मिलती है बिजली? कौन करता है ON-OFF….

Road Reflector : आप लोग जब कभी गाड़ी से सफर कर रहे होते हैं तो बड़े नेशनल हाईवे या आपने किसी सड़क किनारे आपने रोड रिफ्लेक्टर (Road Refcletor) तो जरूर देखेंगे। इन्हें दूसरी भाषा में कैट आई भी कहा जाता है।

रोड रिफ्लेक्टर ऐसी जगह लगाए जाते हैं जहां पर कम रोशनी होती है और यह सड़क से थोड़े ऊपर उठे हुए होते हैं। इसलिए अगर गाड़ी चलाते समय आपको थोड़ी जबकि आ जाए और आपकी गाड़ी दूसरी तरफ जाने लगे तो इनके टच होने से आपको थोड़ा झटका लगेगा और आपको पता चल जाएगा और दुर्घटना होने से बच जाएंगे।

लेकिन क्या कभी आपके दिमाग में यह सवाल आया है कि सड़क किनारे लगे रिफ्लेक्टर (Road Reflector) को आखिरकार बिजली कैसे मिलती है? समय-समय पर इन्हें ऑन-ऑफ कौन करता है? यह साइकिल के पैडल की तरह होते हैं और उनके दो प्रकार होते हैं। एक एक्टिव रिफ्लेक्टर कहलाता है तो दूसरा पैसिव रिफ्लेक्टर कहलाता है। दिखने में दोनों एक जैसे है लेकिन इनमे काफी अंतर है।

अगर हम पैसिव रिफ्लेक्टर की बात करें तो इसके दोनों तरफ रेडियम की पट्टी लगी होती है जिस पर गाड़ी की तेज रोशनी पड़ने पर वह चमकने लगती है और हमें एक लाइट का एहसास होता है। इनमे किसी तरह बिजली की जरूरत नहीं होती है।

अब बात करें एक्टिव रिफ्लेक्टर (Active Reflatctor) की तो ये बिजली से चलते हैं और अधिकतर हाईवे पर लगे होते हैं। इनमें ऊपर की तरफ सोलर पैनल और साइड में बैटरी लगी होती है। दिन की रोशनी में सोलर पैनल बिजली बनाकर बैटरी को पूरी तरह चार्ज करता है।

शाम को जैसे ही सूरज ढल जाता है, तब वही बैट्री रिफ्लेक्टर्स में लगे सर्किट में बिजली की सप्लाई भेजती है और रिफ्लेक्टर में लगी एलईडी ब्लिंक होने लगती है यानी जलने और बुझने लगती है। ये इन्वर्टर की तरह ही है जब बिजली आती है तो ये चार्ज होता है और लाइट जाने पर ऑन-ऑफ़ होने लगते है।