ISRO और DRDO में क्या अंतर होता है? कैसे मिलेगी इसमें नौकरी, जानें – विस्तार से…..

DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के लिए काम करता है। वहीं ISRO भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए काम करता है।

क्या है DRDO? 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधार स्थापित करने के लिए काम करता है। DRDO की स्थापना 1958 में हुई थी, जब भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDE) और तकनीकी विकास उत्पादन एवम निदेशालय (DTDP) को DRDO के साथ जोड़ा गया। वर्तमान में 5000 से अधिक वैज्ञानिक ISRO के लिए काम करते हैं।

DRDO का महत्व

DRDO मिसाइलों का अग्नि परीक्षण, लड़ाकू विमान, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, आकाश राडार इसका हिस्सा हैं। इससे भारत की सैन्य शक्ति बढ़ती है।

क्या है ISRO?

ISRO भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अंतर्गत काम करती है। इसका मुख्यालय बैंगलुरु कर्नाटक में है।

ISRO का इतिहास

अंतरिक्ष गतिविधियां भारत में 1960 के समय शुरू हुआ और भारत के अंतरिक्ष मिशन शुरू करने वाले डॉ विक्रम साराभाई ने की थी। INCOSPAR, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति की शुरुआत, तब डॉ साराभाई और डॉ रामनाथन ने की थी।

ये 1975-1976 के मध्य जब सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) शुरू किया था और इसे दुनिया के सबसे बड़े प्रयोग के तरह देखा गया। इसके बाद  1980 में आर्यभट्ट के नाम पर पहला भारतीय अंतरिक्ष यान सोवियत लॉन्च किया गया। इसके बाद भास्कर I और II मिशन INSAT, PSLV, GSLV आदि पर काम किया गया।

ISRO का महत्व

इसरो का उद्देश्य भारत के लिए अंतरिक्ष तक पहुंचकर लॉन्च वाहनों और उनसे जुड़े प्रौद्योगिकी को विकसित और डिजाइन करना है। ये पृथ्वी से जुड़े नेविगेशन, मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष और उपग्रहों से संबंधित कार्य करता है। यह सामाजिक प्रयास के लिए ग्रहों की खोज और अनुसंधान का कार्य भी करता है।

इस आधार पर हम कह सकते हैं कि ISRO और DRDO हमारे देश की महत्वपूर्ण इकाईयां हैं और हमारे देश के लिए अहम हैं, जिनसे हम विज्ञान की मदद और अनुसंधान से हमारे देश को मजबूत सशक्त बना रहे हैं।