Indian Railway : आखिर पहले आई Train को रोककर बाद वाली ट्रेन को पहले क्यों निकालते हैं? जानें –

Indian Railway : आपने भी कहीं बाहर स्टेशन पर जाकर अपने ट्रेन का इंतजार किया होगा। उस समय आपने यह तो जरूर देखा होगा कि पहले आए ट्रेन को थोड़ी देर के लिए रोक दिया जाता है और बाद में आने वाली ट्रेन को पहले ही ग्रीन सिग्नल देकर रवाना कर दिया जाता है।

लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि दोनों का स्टेशन पर रूकने का समय बराबर है फिर भी बाद में आई ट्रेन को पहले रवाना क्यों कर दिया जाता है? लेकिन इसकी जानकारी रेलवे कर्मचारियों को भी नहीं होती है। क्योंकि इस बारे में या तो स्टेशन मास्टर या फिर सिग्नल पर लगे हुए कर्मचारी को ही पता होता है।

ये है इसका कारण

कुछ समय पहले रेलवे से रिटायर सिग्नल पर काम करने वाले कर्मचारी राजेंद्र ने इस बात का जवाब देते हुए बताया है कि पीछे की लाइन को क्लियर करने के लिए ऐसा किया जाता है। इस तरह का काम अधिकतर सिंगल लाइन वाली स्टेशन पर देखने को मिलेगा। इस प्रक्रिया को क्रॉसिंग कहते हैं जिसमें एक समय पर एक जगह पार करने वाली ट्रेनों को रोक दिया जाता है और आगे-पीछे पार कराया जाता है।

उदाहरण से समझे ये बात

मान लीजिये कोई ट्रेन जयपुर से फुलेरा जा रही है और दूसरी ट्रेन अजमेर से फुलेरा आ रही है। इस तरह दोनों स्टेशनों के बीच फुलेरा जंक्शन पड़ता है। अब अजमेर से आने वाली ट्रेन से पहले ही जयपुर वाली ट्रेन पहले ही फुलेरा पहुंच जाती है।

इसे लूप लाइन पर लेकर कुछ देर के लिए रोक देते है। इसके बाद अजमेर से आ रही ट्रेन को लूप लाइन पर खड़ा करके उसे पहले रवाना कर दिया जाता है। इसके कुछ देर बाद जयपुर से आई ट्रेन को रवाना कर दिया जाता है। लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है?

क्या है कारण?

इस बारे में बताते हुए राजेंद्र ने कहा है कि इस बात की जानकारी केवल स्टेशन मास्टर या सिग्नलिंग कर्मचारी को ही होती है। इसका मतलब जयपुर से आई ट्रेन लूप लाइन पर अजमेर से आने वाली ट्रेन का रास्ता क्लियर करने के लिए रुक जाती है। इसके बाद अजमेर से आई ट्रेन अपना मेटल टोकन लेकर 2 मिनट बाद रवाना हो जाती है।

लेकिन जयपुर से आई ट्रेन को तब तक मेटल टोकन नहीं दिया जाता है। अजमेर से आई ट्रेन को रवाना होने के बाद जयपुर वाली ट्रेन को मेटल टोकन दिया जाता है जिसमें 2-3 मिनट का समय लग जाता है। इसलिए दूसरी ट्रेन को निकलने में 2-3 मिनट का समय लग जाता है। इसका मतलब है कि अजमेर से आई ट्रेन ने फुलेरा पहुंचने से पहले ही मेटल टोक ले लिया था इसलिए पहले उसे रवाना किया जाता है। इसके बाद जयपुर वाली ट्रेन को टोकन मिलता है और वो रवाना होती है।

क्या है टोकन?

टोकन का मतलब ये होता है कि आगे की लाइन क्लियर है और गाड़ी के गार्ड या चालक से एक टोकन लेकर उसे स्टेशन मास्टर द्वारा दूसरा टोकन दिया जाता है। हर स्टेशन पर टोकन की अदला-बदली होती है और इसका मतलब है आगे कि लाइन क्लियर है अब आप आगे बढ़ सकते है। जिसके बाद ट्रेन आगे चलती है।