24 सितंबर 2024 को भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के एक नए युग में कदम रखा, जब रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने कोटा मंडल के सवाई माधोपुर से इंद्रगढ़ सुमेरगंजमंडी तक स्वदेशी संरक्षा प्रणाली कवच 4.0 (Kavach 4.0) का सफल ट्रायल किया। इस अत्याधुनिक तकनीक का उद्देश्य रेलवे संरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है, जिससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि ट्रेन संचालन की सटीकता और समयपालन में भी सुधार होगा।
इस मौके पर रेलमंत्री ने खुद लोको पायलटों के साथ संवाद किया, उनकी चुनौतियों और इस प्रणाली की उपयोगिता पर चर्चा की। ट्रायल के दौरान पश्चिम मध्य रेल की महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय, उत्तर पश्चिम रेल के महाप्रबंधक अमिताभ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
कवच 4.0 का महत्व
मिशन रफ्तार के तहत भारतीय रेल तेजी से 160 किमी/घंटा की गति प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। नागदा से मथुरा के बीच 545 किमी के खंड पर 2665.14 करोड़ रुपये की लागत से काम जारी है, जिसमें कवच 4.0 प्रणाली एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह प्रणाली ट्रेनों के बीच टकराव को रोकने, मानवीय भूलों से होने वाली दुर्घटनाओं को समाप्त करने और ट्रेन संचालन को अत्यधिक सुरक्षित बनाने का काम करेगी।
कवच 4.0 की विशेषताएं
- स्वचालित सुरक्षा प्रणाली – कवच स्वचालित रूप से ट्रेनों के बीच टकराव की स्थिति का पता लगाकर उन्हें रोकता है।
- सिग्नल पासिंग एट डेंजर (SPAD) की रोकथाम – अगर कोई ट्रेन रेड सिग्नल पर पहुंचती है, तो यह प्रणाली स्वचालित रूप से ट्रेन को रोक देती है।
- स्पीड कंट्रोल – अगर ट्रेन की गति अनुमत सीमा से अधिक होती है, तो कवच पहले अलार्म बजाता है और यदि गति और बढ़ती है, तो सामान्य ब्रेकिंग और आपातकालीन ब्रेकिंग प्रक्रिया को सक्रिय कर देता है।
- इन-कैब सिग्नलिंग – यह सुविधा लोको पायलटों को ट्रेन के अंदर से ही सिग्नलिंग की जानकारी देती है, जिससे खराब मौसम या कोहरे के दौरान भी ट्रेन संचालन सुरक्षित हो जाता है।
कवच का प्रभाव
इस तकनीक से रेलवे न केवल संरक्षा के क्षेत्र में, बल्कि समयपालन और संचालन की दक्षता में भी बड़ी छलांग लगा रहा है। यह तकनीक मानवीय भूलों से होने वाली दुर्घटनाओं को समाप्त करने के साथ-साथ भारतीय रेल को विश्व स्तरीय सुरक्षा मानकों की ओर ले जा रही है।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस महत्वपूर्ण क्षण पर कहा, “कवच 4.0 भारतीय रेलवे की सुरक्षा में मील का पत्थर साबित होगा। यह हमारी ट्रेनों को न केवल तेज़ बनाएगा बल्कि सबसे सुरक्षित भी बनाएगा।”
कवच 4.0 का यह ट्रायल भविष्य में रेलवे के और भी सुरक्षित और आधुनिक बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।