Cheetah Deaths : कूनो नेशनल पार्क में क्यों मर रहे हैं चीते? वजह जान आप भी चौंक जाएंगे!

Cheetah Deaths : श्योरपुर के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए गए चीतों में से अब 9वे चीते धात्री की भी मौत हो गई है और मौत की वजह गुर्दों में इन्फेक्शन बताया जा रहा है। खुले जंगल में छोड़ी गई मादा चीता धात्री (तिबलिसी) की मौत हुई है। कूनो के प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि की है।

क्यों हो रही हैं मौतें? केंद्रीय पर्यावरण और नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट को जो रिपोर्ट सौंपी उसमें कहा गया कि किसी भी चीते की मौत अप्रकृतिक तरीके से नहीं हुई है और कूनो नेशनल पार्क को चीतों के लिए अनुयुक्त मानना गलत है। जबकि 14 जुलाई को नर चीते सूरज की मौत हो गई थी इसपर वन विभाग का कहना था कि मौत की वजह गर्दन और पीठ पर घाव होना है। बाद में मौत की वजह कॉलर आईडी को ही बताया गया।

इससे पहले हुई थी ‘तेजस’ की मौत? ये 7वा मौका था, जब अफ्रीका से लाए गए चीते की मौत हुई है, पिछले महीने भी मादा चीता जलवा की मौत हो गई थी, जिसने मौत से कुछ समय पहले ही चार बच्चों को जन्म दिया था और उन बच्चों में भी दो की मौत पानी की कमी और कमज़ोरी बताई गई थी। और अब हाल ही में धात्री की मौत की खबर आई है, जब तेजस की मौत हुई तब उसकी उम्र 4वर्ष थी और इसे इसी साल फरवरी में कूनो नेशनल पार्क लाया गया था।

मादा चीते के गर्दन पर निशान पाए गए थे, जिससे ये बताया गया है की उसकी मौत आपसी लड़ाई से हुई है। क्यों लाए गए नांबियाई चीते? पिछले वर्ष सितंबर में एक बहुत बड़े प्रोग्राम के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने इन चीतों को रिलीज किया था और इस वर्ष फरवरी में साउथ अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए थे।

1951-52 की एक रिपोर्ट के अनुसार कहा गया था कि एशियाई चीते भारत से विलुप्त होने की कगार पर हैं और धीरे धीरे ये रिपोर्ट सच साबित हुई और इसी वजह से ‘चीता प्रोजेक्ट’ शुरू किया गया था 24चीते जिनमें से 20 साउथ अफ्रीका के नामबिया से लाए गए थे और 4 का जन्म कूनो नेशनल पार्क में ही हुआ था लेकिन हाल ही में हुई मौतों के बाद ये आंकड़ा घटकर 17 रह गया है।

चीता प्रोजेक्ट शुरू करने की मुख्य वजह भारत में चीतों की कमी है लेकिन जब इस प्रोजेक्ट को लांच किया गया था, तब माना गया था कि यदि आधे चीते भी बच जाते हैं तो ये इस प्रोजेक्ट की सफलता मानी जाएगी, लेकिन अब इस सफलता को आंकना थोड़ा मुश्किल है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट? : मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में पिछले करीब दो महीने में ये सातवे चीते की मौत हो चुकी है। इनमें तीन शावक भी शामिल हैं, जहां पहले हुई मौतों पर कहा जा रहा था की भीषण गर्मी की वजह से शावकों की जान गई, लेकिन एक्सपर्ट की भी क्या यही राय है?

दक्षिण अफ्रीकी वन्यजीव विशेषज्ञ ने चीतों के प्रस्थापन के समय कहा था कि भारत को चीतों निवास स्थलों पर बाड़ लगानी चाहिए और यदि वो पूरे में नहीं लगा सकता तो कम से कम उसे दो से तीन जगह बाड़ जरूर लगानी चाहिए, क्योंकि इतिहास में बिना बाड़ वाले अभयारण्य में चीतों को फिर से बसाए जाने के प्रयास कभी सफल नहीं हुए हैं।

क्या बिना बाड़ चीता के जान संभव नहीं? : दक्षिण अफ्रीका ने 15बार ऐसे प्रयास किए जहां चीतों को खुले में बिना बाड़ के रखा गया, लेकिन बिना बाड़ वाले किसी भी अभयारण्य में चीतों को पुन: बसाए जाने की परियोजना सफल नहीं हुई है वे हर बार असफल रहे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि वो ये नहीं कह रहे की भारत भी असफल होगा लेकिन भारत को फिर भी इस दिशा में सोचना चाहिए और इसके लिए भारत को अपने सभी चीता अभयारण्यों के चारों ओर बाड़ लगानी चाहिए और ‘सिंक रिजर्व’ भरने के लिए ‘सोर्स रिजर्व’ बनाए जाने चाहिए।

क्या होते हैं सिंक और सोर्स रिजर्व? किसी भी अभ्यारण में दो क्षेत्र होते हैं, सिंक रिजर्व और सोर्स रिजर्व! सोर्स रिजर्व यानी एक ऐसी जगह को किसी विशेष प्रजाति के प्रजन्न के लिए अनुकूल हों उचित जगह और प्रस्थतियां होती हैं और सिंक रिजर्व में किसी जानवर से संबंधित बहुत थोड़े संसाधन होते हैं, और यदि ये एक दूसरे के संपर्क में आए तो इन्हें बचाकर रखा जा सकता है। अब ये विचारणीय है की इस पर किस तरह प्रक्रिया मिलेगी और आगे इसको लेकर क्या कदम उठाए जाएंगे।