बिहार से Sahara India तक का सफर- किराये का कमरा, 2 हजार से शुरुआत, ऐसे रहा सुब्रत रॉय का साम्राज्य…..

डेस्क : सहारा इंडिया (Sahara India) के मालिक सुब्रत रॉय का कल रात निधन हो गया। यह खबर सामने आते ही सहारा समूह के साथ-साथ उनके परिवार और उनकी जन्मस्थली बिहार के अररिया में शोक की लहर दौड़ गई। सुब्रत रॉय को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है।

उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत जीरो से की थी। आज उन्हें हर कोई जानता है। सुब्रत रॉय ने मुंबई के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। आज पार्थिव शरीर सहारा स्टेट लखनऊ लाया जाएगा। आइए जानते हैं सुब्रत रॉय की जीवन यात्रा।

अररिया से जुड़ी हुई है सुब्रत रॉय की यादें

10 जून 1948 को जन्मे सुब्रत रॉय को बिहार में जानने वालों की कमी नहीं है। उनका घर अररिया के आश्रम रोड में है। हालाँकि अब वहां कोई नहीं रहता। उनका पुश्तैनी घर एक केयरटेकर के हाथ में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले उनके घर तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी। बाद में सुब्रत रॉय ने इसे अपने खर्चे पर बनवाया था। लोग बताते हैं कि उनके नाना का घर भी आश्रम रोड में है। सुब्रत रॉय के पिता सुधीर चंद्र रॉय एक सिविल इंजीनियर थे।

कोलकाता होते हुए गोरखपुर पहुंचे

अररिया में जन्मे सुब्रत रॉय कोलकाता होते हुए गोरखपुर पहुंचे। दरअसल, सुब्रत रॉय की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई। स्कूली शिक्षा के बाद वह एक सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग करने के लिए गोरखपुर पहुंचे। पढ़ाई में मन नहीं लगा तो गोरखपुर में ही छोटी-मोटी नौकरी करने लगा। कहा जाता है कि 30 साल की उम्र में उनके पास केवल 2000 रुपये थे। एक समय ऐसा भी था जब एसबीआई ने उन्हें 5000 रुपये का लोन देने से इनकार कर दिया था।

चिटफंड कंपनी की शुरुआत

बाद में सुब्रत रॉय ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक चिटफंड कंपनी शुरू की। 80 के दशक में 100 रुपये कमाने वाले लोग उनके पास 20 रुपये जमा करते थे। छोटी-छोटी रकम निवेश करने की योजना के कारण लाखों लोग उनकी कंपनी में निवेश करने लगे। इसके बाद उनकी कंपनी और संपत्ति दोनों बढ़ती गई। हालांकि, बाद में एक समय ऐसा भी आया जब उन पर निवेशकों के लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगा। तमाम नियामक जांच एजेंसियां ​​और पुलिस उनके पीछे पड़ गई।