बेगूसराय :किसान के बेटे संतोष ने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में पाई सफलता

बरौनी (बेगूसराय) : परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता। भले ही थोड़ा समय लगता हो, लेकिन अंतत: सच्ची मेहनत का फल मिल ही जाता है। बस दिल में लगन सच्चा हो। बेगूसराय ने समय-समय पर देश को कई ऐसे रत्न दिए हैं। जिस पर आज भी बेगूसराय के लोगों को नाज होता है।

बरौनी प्रखंड के अमरपुर गांव का बेटा संतोष कुमार ने बिहार न्यायिक सेवा द्वारा आयोजित 30वीं परीक्षा में सफलता हासिल कर बेगूसराय जिले का मान बढ़ाया है।

बताते चलें कि संतोष कुमार बरौनी प्रखंड क्षेत्र के अमरपुर निवासी किसान-मजदूर रामनंदन राय का पुत्र हैं। पिता रामनंदन राय के दो बेटियां रूबी- नीतू और पुत्र मंतोष और संतोष के चेहरे खुशी से खिले नजर आ रहे हैं। खुशी हो भी क्यों नही साधारण से परिवार में जन्मे संतोष ने अपने पहले ही प्रयास में बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता अर्जित जो किया है। रिजल्ट आने के बाद से संतोष के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है।

दरअसल, संतोष वर्तमान में दिल्ली स्थित तीस हजारी कोर्ट में अभ्यासरत हैं। दोपहर में जैसे ही संतोष अपने घर पहुंचे तो हर किसी ने उन्हें गले लगा बधाई दी। पिता रामनंदन राय ने बताया कि संतोष बचपन से ही प्रतिभाशाली है।पत्रिका से बातचीत में मां हीरा देवी की आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे। कहा कि शुरू से ही घर की आर्थिक स्थिति कमजोर रही। इसके चलते बेटे संतोष की साधारण जरूरतों को भी पूरा नहीं कर सके।

संतोष का जब परीक्षा परिणाम आने वाला था तो पहले चार-पांच दिन तक गले से निवाला नहीं उतरा। जब पता चला कि संतोष दण्डाधिकारी बन गया है तो परिवार में खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। संतोष कुमार ने पत्रिका को बताया कि यदि लक्ष्य लेकर कार्य किया जाए तो मंजिल पाना मुश्किल नहीं है। संतोष अपना आदर्श अपने बड़े भाई मंतोष कुमार जो कि दिल्ली हाईकोर्ट में अभ्यासरत हैं एवं माता-पिता को मानते हैं।

बरौनी प्रखंड के निकटवर्ती गांव अमरपुर में एक साधारण घर जन्मे संतोष बिहार न्यायिक सेवा सिविल जज में चयन हुआ है। बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद ग्रामीण और परिजन अपने लाडले के सफलता पर फुले नही समा रहे। आखिर हो भी क्यों ना। गांव के किसान के बेटे ने सफलता जो पाई है।