जब बिहार में Lalu Yadav ने खोला था चरवाहा विद्यालय, तब भारतीय हंसे और दुनिया हुई हैरान!

Lalu Yadav: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav ) ने अपने राजनीतिक जीवन में कई प्रयोग किए। इन प्रयोगों में आज भी चरवाहा विद्यालय को लोग याद करते हैं। चारवाहा स्कूल एक ऐसा प्रयोग था, जिसकी अवधारणा को लेकर लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav ) को बिहार के कई कोनों में हंसी का पात्र बताया गया। वहीं विदेशों में भी इसकी काफी चर्चा हुई थी। यहां तक ​​कि इस पर रिसर्च करने के लिए जापान से भी टीम बिहार पहुंची थी। तो आइए आज हम चरवाहा विद्यालय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

आज से 26 साल पहले बिहार चरवाहा विद्यालय को लेकर काफी सुर्खियों में था। सुबह यहां बच्चे जानवर चराने के लिए आते थे, जो जानवरों को चरने के लिए छोड़कर स्कूल में पढ़ने बैठ जाते थे। मास्टर साहब इन बच्चों को पढ़ाते थे और स्कूल के दूसरी तरफ एक कोने में महिलाएं पापड़, बड़ी, अचार बनाने की ट्रेनिंग करती थीं। यह वह दौर था जब हर वर्ग के लोगों को भरपूर शिक्षा देने की अवधारणा के तहत कदम उठाए गए थे। यह सोच लालू प्रसाद यादव की थी, इसकी सराहना भी हुई लेकिन बाद में फ्लॉप हो गई।

लालू के प्रसिद्ध प्रयोगों में से एक : चरवाहा राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव के सबसे लोकप्रिय प्रयोगों में से एक था। पशु चराने वाले पांच से 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को ध्यान में रखकर चरवाहा विद्यालय खोला गया। यह एक ऐसा प्रयोग था जिसे यूनिसेफ सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने सराहा था लेकिन बाद में यह फ्लॉप हो गया।

वरिष्ठ शिक्षा पत्रकार लक्ष्मीकांत सजल कहते हैं, “इस स्कूल को देखने के लिए अमरीका और जापान से कई टीमें आई थीं। हालात ये थे कि हमें इस प्रयोग पर हंसी आ रही थी लेकिन पूरी दुनिया इस पर रिसर्च कर रही थी।” इस चरवाहे स्कूल के बारे में अलग-अलग लोगों के अलग-अलग विचार हैं। एक बड़ा तबका है जो इस स्कूल की सराहना कर रहा है तो दूसरा तबका इसे फ्लॉप बताने से भी नहीं हिचकिचा रहा है।