UNESCO Meeting on Diwali : भारत के सबसे बड़े और प्रिय सांस्कृतिक उत्सव दीपावली को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में शामिल किया है. Intangible cultural heritage की सूची में शामिल करने की एतिहासिक घोषणा दिल्ली के लाल किले में आयोजित यूनेस्को की अंतरसरकारी समिति के 20वें सत्र के दौरान की गई.
जैसे ही यूनेस्को के महानिदेशक के दीवान-ए-आम में दीपावली (UNESCO Meeting on Diwali) का नाम लिया. इस एलान के बाद पूरा सभागार वंदे मातरम्, भारत माता की जय, जय हिंद के नारों से गूंज रहा. इस एलान के बाद दिल्ली को फिर से दीपावली के लिए सजाया जा रहा है.
भारत ने पहली बार की मेजबानी : यह पहला अवसर है जब भारत यूनेस्को की इस महत्वपूर्ण समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है. 8 से 13 दिसंबर तक चल रहे इस छह दिवसीय सत्र में 180 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. यूनेस्को अधिकारियों ने दीपावली को दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक प्रकाश उत्सव बताया जो समुदाय परिवार और प्रकृति से गहरा जुड़ाव रखता है.
यूनेस्को (UNESCO Meeting on Diwali) की बैठक में 67 नामांकन पर विचार हुए हैं. इस वर्ष यूनेस्तो तो 78 देशों से 67 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं. इनमें से 3 भारत ने भेजे थे. भारत के भेजे गए तीन प्रस्ताव में से दीपावली को मंजूरी मिल गई और बाकि 2 पर चर्चा जारी है.
अब कुल 16 परंपराएं : दीपावली के शामिल होने के बाद भारत की कुल 16 परंपराएं यूनेस्को क अमूर्त विरासत सूची का हिस्सा बन चुकी हैं. इनमें कुंभ मेला, योग, रामलीला, कोलकाता का दुर्गा पूजा, योग, वैदिक मंत्रोच्चार, गुजरात का गरबा, छउ नृत्य, केरल कै मुदियेट्टू, हिमालयी बौद्ध मंत्र-जाप परंपरा, नवरोज, संक्राति, पोंगल , बैशाखी जैसे त्योहार शामिल हैं.
वैश्विक सम्मान की बात : पीएम मोदी, पीयूष गोयल समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने इसे भारत की सभ्यता और आस्था का वैश्विक सम्मान बताया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दीपावली केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, जीवन मूल्यों और सभ्यता की आत्मा है. यूनेस्को (UNESCO Meeting on Diwali) की सूची में इसका शामिल होना भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए गर्व का क्षण है.पीयूष गोयल सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने इसे भारत की सभ्यता और आस्था का वैश्विक सम्मान बताया.
विशेष दीपावली समारोह : इस घोषणा के बाद दिल्ली में आज शाम एक बार फिर से दीपावली मनाई जाएगी. लाल किला, चांदनी चौक, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, कर्तव्य पथ सहित प्रमुख स्थलों को दिए और रंगोली से सजाया जा रहा है. कई सरकारी इमारतों को भी रौशन किया जाएगा. मुख्य कार्यक्रम लाल किला परिसर में होगा जहां विदेशी प्रतिनिधि और देश के वरिष्ठ अधिकारी दीप जलाने की रस्म और सांस्कृतिक प्रस्तुति देखेंगे.
इस फैसले से क्या बदलेगा : यूनेस्को के इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बदलाव होंगे. दीपावली के यूनेस्को की सूची में आने से त्योहार को वैश्विक पहचान मिलेगी. सांस्कृतिक आदान-प्रदान और टूरिज्म बढ़ेगा. शोध और संरक्षण को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलेगा.भारत की सांस्कृतिक पहचान और मजबूत होगी.


