150 Years of Vande Mataram : आज देश के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ (Vande Mataram 150th Anniversary) के मौके पर संसद में विशेष चर्चा होगी। शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में यह बहस 10 घंटे तक चलेगी। इस चर्चा की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) करेंगे। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, गौरव गोगोई सहित कई दलों के प्रमुख प्रतिनिधि अपने-अपने विचार रखेंगे। सत्र में सत्ता दल से लेकर विपक्ष तक बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे।
इस शीतकालीन सत्र में होने वाली इस चर्चा का उद्देश्य राष्ट्रीय गीत के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय महत्व को याद करना है। इसके अलावा राष्ट्रीय गीत के कुछ विवादित माने जाने वाले अंशों पर भी बहस होने की आशंका है। दरअसल, 1937 में इस गीत से एक श्लोक को हटाया गया था। इसपर भी बहस होने की संभावना है। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस के बीच मतभेद की स्थिति भी बनी हुई है।
वंदे मातरम् का इतिहास
वंदे मातरम भारत का राष्ट्रीय गान है। इसे पहली 7 नवंबर 1875 को एक साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित किया गया। इसके बाद बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास आनंदमठ (1882) में शामिल किया। बतादें कि आजादी के समय यह गीत स्वतंत्रता सेनानियों के बीच उत्साह का केंद्र रहा। इस गीत को सुन आजादी की लड़ाई लड़ने वालों में एक नई ऊर्जा उत्पन्न होती थी। आज भी इस गीत में एक क्रांति छिपी है, जिसे हर भारतीय महसूस करता है।
भाजपा और विपक्ष के बीच बहस
वंदे मातरम् को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद है। सरकार का मानना है कि वंदे मातरम् केवल गीत नहीं बल्कि राष्ट्र की एकता, स्वतंत्रता का संघर्ष और त्याग का प्रतीक है। वहीं विपक्ष का कहना है कि इस गीत की भावनात्मक मूल्य और ऐतिहासिक गहराइयों को समझते हुए इसे राजनीतिक विवादों से कोसों दूर रखने की जरूरत है।
इस विशेष चर्चा को लेकर आम लोगों के बीच भी बातें शुरू हो गई है। एक बड़ा तबका है जो इसे सार्थक बहस मान रहा है। उनका कहना है कि लोकसभा की यह चर्चा सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देने के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रतीक के अर्थों को एक बार भी सदन के माध्यम से जानने और समझने का मौका मिलेगा।


