औरंगजेब की चालाकी से नहीं बन पाया काला ताजमहल, जानिए इसके पीछे की कहानी

Desk : दुनिया के सात अजूबों में से एक है आगरा का ताजमहल, जिसे विदेशों से आए नागरिक बिना देखे नहीं जाते हैं। सफेद संगमरमर से बनी इस खूबसूरत इमारत के काफी लोग दीवाने हैं। इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनाया था। सफेद ताजमहल के बारे में तो हर किसी को पता है, लेकिन क्या आपने कभी काले ताज महल के बारे में सुना है?

औरंगजेब की चालाकी से नहीं बन पाया काला ताजमहल, जानिए इसके पीछे की कहानी 1

जी हां, एक और ताजमहल जिसका रंग काला है और शाहजहां ने अपनी वसीयत में इसका जिक्र किया है। दरअसल, यह काला ताजमहल केवल कल्पनाओं में ही बनकर रह गया। दरअसल, इस काले ताजमहल को शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने ही बनने से रोक दिया। शाहजहां के वसीयत के मुताबिक काला ताजमहल काले संगमरमर का बना एक मकबरा है। जिसके बारे में कहा जाता है कि यूपी के यमुना नदी के दूसरी तरफ मौजूद ताजमहल के ठीक पीछे बनाया जाना था। शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज से कहा भी था कि वह उनके पास ही अपना मकबरा बनवाऐंगे।

औरंगजेब की चालाकी से नहीं बन पाया काला ताजमहल, जानिए इसके पीछे की कहानी 2

औरंगजेब के बारे में पूरी दुनिया जानती है कि वह बेहद क्रूर शासक था, जिसने अपने पिता के साथ भी क्रूरता दिखाई और उनकी आखिरी इच्छा भी पूरी नहीं की। 22 जनवरी साल 1666 को शाहजहां ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। इसके बाद विचार होने लगा कि उनके शव को कहां दफनाया जाएगा। ममी पुस्तक के अनुसार, शाहजहां ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उन्हें ताजमहल के ठीक पीछे मेहताब बाग में दफनाया जाए।

औरंगजेब की चालाकी से नहीं बन पाया काला ताजमहल, जानिए इसके पीछे की कहानी 3
औरंगजेब की चालाकी से नहीं बन पाया काला ताजमहल, जानिए इसके पीछे की कहानी 5

अब इसके मुताबिक औरंगजेब को एक और ताजमहल बनवाना पड़ता। साथ ही इस बात का भी पूरा ख्याल रखना होता कि यह इमारत किसी भी कीमत पर सफेद ताजमहल से कम ना हो। यह औरंगजेब के लिए बेहद मुश्किल था। वह अपने वालिद के लिए कुछ करना भी नहीं चाहता था। इस दौरान औरंगजेब ने कई जंग भी लड़ी थी, जिसकी वजह से शाही खजाना खाली हो गया था। वसीयत की शर्तों से बचने के लिए उसने मकबरा नहीं बनवाया साथ ही खजाना भी खाली हो चुका था।

ये भी पढ़ें   पुलिस की वर्दी में आखिर किस वजह से जुड़ी होती है ये रस्सी ?

इसके बाद औरंगजेब ने इस्लामिक कायदों का हवाला देते हुए शाही उलेमाओं से विमर्श किया कि यदि वालिद कोई ऐसी वसीयत करे जो इस्लाम की रोशनी में सही ना हो, तो क्या करना चाहिए? इस पर उलेमाओं ने वसीयत को गलत बताया। फिर औरंगजेब ने अपना तर्क दिया कि उसके पिता शाहजहां मां मुमताज़ बेगम से बेपनाह मोहब्बत करते थे। इसलिए उनके पास ही उन्हें दफना देना चाहिए। इस तरह से औरंगजेब ने चालाकी दिखाई और काला ताजमहल नहीं बन पाया। यदि बन गया होता तो सफेद संगमरमर की खूबसूरती में और चार चांद लग जाते और पूरी दुनिया में यह मशहूर होता।