आखिर ED के छापेमारी के बाद जब्त करोड़ों रुपये कहां जाते हैं? जानकर सिर चकरा जाएगा आपका..

डेस्क : ED यानी एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट छापेमारी करती है और छापेमारी में टैक्सी चोरी किया हुआ पैसा और बाकी चीजें जब्त करती है. क्या कभी आपने सोचा है कि ईडी इतना पैसा जो जब्त करती है वह कहां जाता है? चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर कहां जाता है ये पैसा. पिछले 4 साल में ईडी ने 67000 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जब्त की है.

जब भी ईडी छापेमारी करती है तो अधिकतर जहगों पर से उसे कामयाबी मिलती है.कोई सरकारी एजेंसी जब छापेमारी करती है तो उसे कैश, गोल्ड, सिल्वर, पेपर डॉक्यूमेंट्स और दूसरी चीजें हाथ लगती हैं. अधिकारी छापेमारी में जब्त किए गए सामान का पंचनामा बनाते हैं. इसमें उसके साइन भी कराए जाते हैं जिसका सामान जब्त किया जा रहा है. फिर जो पॉपर्टी सीज होती है वह केस प्रॉपर्टी कहलाता है.

अब आपको ये बताते हैं कि पंचनामा में क्या लिखा जाता है. दरअसल, उसमें लिखा जाता है कि कितने पैसे बरामद हुए हैं, पैसों की कितनी गड्डियां हैं. किस करेंसी के कितने नोट हैं जैसे 200 के और 500 के कितने नोट हैं. यदि जब्त किए गए कैश में किसी भी नोट पर कोई निशान हो या फिर कुछ लिखा हुआ हो तो यह भी डिटेल पंचनामा में लिखी जाती हैं और जांच एजेंसी ऐसे कैश को अपने पास सबूत के तौर पर रख लेती हैं. फिर कोर्ट में प्रूफ के तौर पर इन्हें पेश किया जाता है. बाकी का बचा हुआ कैश बैंक में जाकर जमा कर दिया जाता है.

जब्त किए गए पैसे को जांच एजेंसियां रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार के खाते में जमा करा देती हैं. वहीं कुछ केस में पैसे को जांच एजेंसी अपने पास भी रखती हैं और यह पैसा केस की सुनवाई पूरी होने तक जांच एजेंसियों के पास ही रहता है. कैश के लिए यह सब होता है. वहीं यदि प्रॉपर्टी है तो PMLA के सेक्शन 5 (1) के अंतर्गत प्रॉपर्टी को अटैच किया जाता है. संपत्ति की जब्ती अदातल में साबित होने पर इस संपत्ति को सरकार PMLA के सेक्शन 9 के तहत कब्जे में ले लेती है. जिस पर लिखा होता है कि इस संपत्ति की खरीद, बिक्री या फिर इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

यहां सबसे खास बात ये है कि पीएमएलए के मुताबिक ED केवल 180 दिन तक ही प्रॉपर्टी को अपने पास रख सकती है. मतलब अगर कोर्ट में आरोपी साबित हो जाता है तो प्रॉपर्टी सरकार की और अगर नहीं होता है तो फिर से प्रॉपर्टी जिसकी थी उसी की होगी. कई बार ऐसा भी होता है कि ईडी जिस संपत्ति को अटैच कर रही है उस मामले की अदालत में सुनवाई जारी रहने के दौरान आरोपी उस संपत्ति का इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, फाइनल फैसला कोर्ट का ही होता है। यानी अगर प्रॉपर्टी सीज करने का आदेश अदालत देती है तो प्रॉपर्टी पर हक सरकार का हो जाता है। अगर ईडी आरोपी का आरोप नहीं साबित कर पाती है तो इसके बाद प्रॉपर्टी मालिक को वापस कर दी जाती है. कई बार ऐसा भी होता है कि कोर्ट प्रॉपर्टी के मालिक पर कुछ फाइन लगाकर प्रॉपर्टी उन्हें वापस लौटा देती है.