Property Rule : अब मां-बाप चाहकर भी नहीं कर सकते बच्चों को प्रॉपर्टी से बेदखल, जान लीजिए कानून….

Property Rule : आजकल हमारे देश में प्रॉपर्टी से संबंधित कई सारे विवाद देखने को मिलते हैं। प्रॉपर्टी के कानून के अनुसार माता-पिता अपनी नालायक और लापरवाह संतान को अपनी प्रॉपर्टी (Property) से चाहे तो बेदखल कर सकते हैं और इसके लिए SDM के पास जाकर याचिका कर सकते हैं।

लेकिन, वह अपनी कमाई हुई संपत्ति से ही संतान को बेदखल कर सकते हैं। नालायक से यहां मतलब यह है कि 18 वर्ष की आयु के बाद आपकी संतान आपके साथ और आपके सहारे पर रहती है। इसके साथ ही वह आपको तंग करती है, आपको यातना देती है और आपकी नजर में वह किसी काम की नहीं है। आप ऐसी संतान को कुछ कागजी कार्रवाई के बाद अपनी संपत्ति (Property) से बेदखल कर सकते हैं। लेकिन ऐसा सिर्फ अपनी कमाई हुई संपत्ति से कर सकते हैं।

लेकिन अगर कोई आपकी पैतृक संपत्ति है जिसे दादा-परदादा आपके लिए छोड़ कर गए हैं तो उसे संपत्ति पर आपके जाने के बाद आपकी संतान का ही अधिकार होगा। पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) से जुड़ा हुआ कानून कहता है कि माता-पिता किसी भी तरह अपने बच्चों को पैतृक संपत्ति के अधिकार से बेदखल नहीं कर सकते हैं। अगर माता-पिता उसे ऐसा करने के लिए कहते हैं तो वह कोर्ट के पास जा सकता है। इस तरह के ज्यादातर मामलों में कोर्ट ने बच्चों के हक में ही फैसला सुनाया है।

क्या होती है पैतृक संपत्ति

पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) हमेशा परिवार की संपत्ति होती है जो दादा, परदादा या पिता से आई हुई होती है। अगर कोउ संपत्ति पिछली चार पीढ़ियों से चलती हुई आ रही हो तो वह पैतृक संपति कहलाती है। कानून के अनुसार इस प्रॉपर्टी पर बेटे और बेटी दोनों का बराबर हक है।

एक बात यहां ध्यान देने वाली है कि अगर चार पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति में कहीं भी बंटवारा हुआ तो उससे पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) का दर्जा हट जाएगा और वह फिर स्व-अर्जित संपत्ति हो जाएगी। ऐसी परिस्थिति में माता-पिता अपने बच्चों को बेदखल कर सकते है। हिंदू उत्तराधिकार नियम, 1956 के अनुसार, मुख्य रूप से धारा 4,8 और 19, पैतृक संपति से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है।

हिस्सेदारी में बदलाव

हर पीढ़ी के बाद पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) के हिस्से में बदलाव होता जाता है। जैसे-जैसे परिवार बढ़ता है, वैसे-वैसे ही पैतृक संपत्ति घटती जाती है। अगर परिवार में किसी के एक ही संतान है तो पूरा हिस्सा उसके पास जाता है। लेकिन अगर दूसरे सदस्य के 2 या 3 संतान है तो हिस्सा उन लोगों में बंट जाता है। इस तरह किसी के पास ज्यादा तो किसी के पास कम संपत्ति आती है।