भतीजा चिराग पासवान को गले लगाने के बाद भी चाचा पारस हाजीपुर से ही लड़ेंगे चुनाव!

एनडीए में सांसद चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) की एंट्री हो गई है। दिल्ली में हुई एनडीए की बैठक में चिराग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गले लगाया। तो, चाचा पशुपति कुमार पारस ने भी चिराग पासवान को गले से लगाया। इस तस्वीर के सामने आने के बाद ऐसा लगा था कि चाचा-भतीजा में हाजीपुर सीट को लेकर भी बात बन गई होगी। लेकिन, गले मिलने के बाद भी हाजीपुर को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

राष्ट्रीय लोजपा के प्रवक्ता श्रवण कुमार कहते हैं कि गठबंधन में सिटिंग सीट पर समझौते की बात नहीं होती है। हाजीपुर से वर्तमान सांसद पशुपति कुमार पारस हैं। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी कहते हैं कि राजनीतिक मंच को पारिवारिक संबंधों के रूप में समझने की गलती नहीं की जानी चाहिए।

पशुपति पारस ने कहा कि हम एक परिवार हैं और चिराग पासवान मेरा भतीजा है। मेरे भाई ने राज्यसभा में जाने के बाद दिल्ली न जाने की मेरी इच्छा के बावजूद मुझे 2019 में हाजीपुर से चुनाव लड़ाया। हाजीपुर सीट से नौ बार जीत चुके हैं और उनके निर्देश पर ही मैं हाजीपुर से चुनाव लड़ने के लिए सहमत हुआ था।

इधर, चिराग पासवान हाजीपुर को लेकर दावा ठोक चुके हैं। उन्होंने कहा कि हाजीपुर उनके पिता की सीट थी और कई काम ऐसे हैं जो आज वहां अधूरे हैं। वो अपने पिता के अधूरे कामों को पूरा करना चाहते हैं और इसलिए वो हाजीपुर से चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं।

चिराग पासवान ने दावा किया है कि उनकी बात बन चुकी है और तय हो चुका है कि एनडीए की ओर से लोजपा (रामविलास) का उम्मीदवार ही हाजीपुर से चुनाव लड़ेगा।

वैसे, सबसे बड़ा सवाल है कि हाजीपुर से दोनों क्यों चुनाव लडना चाहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान की सियासी जड़ें यहां काफी मजबूत रही है। यही कारण है कि चाचा-भतीजा उसका लाभ उठाना चाहते हैं।

उल्लेखनीय है रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो भागों में बंट गई और चाचा-भतीजा में तलवारें खिंच गई। इस बीच, दोनों दल एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं।