बिहार के 35 हजार KM सड़कों का होगा सुरक्षा ऑडिट, सड़क दुर्घटना पर लगेगा लगाम, जानें- सरकार का प्लान

न्यूज़ डेस्क : देश में सबसे अधिक मौत सड़क दुर्घटना के कारण होता है। अखबार के पन्नो में ऐसी खराब दिख ही जाती है, जिसका के मुख्य कारण सड़क की जर्जर स्थिति भी है। ऐसे में बिहार सरकार द्वारा अहम कदम उठाया गया है। दरअसल राज्य में सड़क दुर्घटना में कमी आये जिसके लिए प्रदेश की 35 हजार किलोमीटर रोड का सुरक्षा ऑडिट किया जाना है। ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक सड़कों के खराब स्थिति को दुरुस्त किया जाएगा, आवश्यक्ता के अनुसार स्ट्रीट लाइट आदि लगाया जाएगा, जिससे दुर्घटना कम हो सके। ऑडिट का कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सड़क निर्माण विभाग और ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा किया किया जाएगा।

एनएचएआई के तहत 2649 किलोमीटर सड़कों का ऑडिट होना है। एनएचएआई ने अब तक 1248 किलोमीटर का ऑडिट पूरा कर लिया है। इस साल 1360 किलोमीटर नेशनल हाईवे का ऑडिट होना है। बिहार सरकार ने इस संबंध में एनएचएआई को आवश्यक निर्देश दिए हैं ताकि सड़क सुरक्षा ऑडिट का कार्य निर्धारित समय में पूरा किया जा सके। सड़क निर्माण विभाग के तहत 21 हजार 774 किलोमीटर सड़कों का ऑडिट किया जाएगा।

विभाग के तहत 2826 किमी एनएच का ऑडिट होना है। इसमें से 905 किलोमीटर का ऑडिट हो चुका है। 3713 किमी स्टेट हाईवे का होगा ऑडिट इसमें से 1624 किमी का ऑडिट हो चुका है। वहीं 15 हजार 195 किलोमीटर के मेजर मीडियम रोड (MDR) का ऑडिट किया जाएगा है। इसमें से अब तक 336 किलोमीटर का ऑडिट हो चुका है।

विभाग के अधीन कुल 21 हजार 774 किमी सड़कों में से 2865 किमी के ऑडिट का कार्य पूरा हो चुका है। शेष 18 हजार 868 सड़कों का ऑडिट होना बाकी है। वहीं, ग्रामीण निर्माण विभाग के तहत 25 हजार किलोमीटर सड़कों का ऑडिट किया जाएगा है। ग्रामीण सड़कों में इसका ऑडिट तभी हो रहा है, जब यह पांच किलोमीटर से ज्यादा लंबा हो। अब तक 8500 किमी का ऑडिट कार्य पूरा किया जा चुका है। 16 हजार किलोमीटर से अधिक का ऑडिट शेष बचा है।

सुरक्षा ऑडिट क्या है: सड़क दुर्घटना का निरक्षण किया जाएगा। इसके तहत सुरक्षा ऑडिट में यह देखा जाना है कि किस सड़क को दुर्घटना से बचाने के लिहाजे से सुधारने की आवश्यकता है। ऑडिट के रिपोर्ट के मुताबिक सभी को ठीक किया जाना है। इसके तहत सड़कों, संकेतों, स्ट्रीट लाइट आदि की संरचना में सुधार किया जाएगा ताकि जान-माल की हानि को कम किया जा सके।