फिर से बनकर तैयार हुआ नालंदा विश्वविद्यालय का शानदार कैंपस, अतीत और आधुनिकता का है अनूठा संगम..

न्यूज़ डेस्क : विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय फिर से अपने ज्ञान की गंगा बहाने को तैयार है। बख्तियार खिलजी के द्वारा जला दिए जाने के बाद एक फिर विधा की मंदिर अपने अस्तित्व को वापस ले आया है। एक बार फिर इस विश्वविद्यालय से निकले विद्धवान अपनव ज्ञान का परचम लहरायेंगे। इस विश्विद्यालय को पुनर्जीवित करने के लिए सीएम नीतीश कुमार और पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का अहम योगदान है। दोनों के सफल प्रयास से आज नालंदा विश्वविद्यालय अपने ज्ञान का वर्षा करेगा।

मालूम हो कि नालंदा विश्वविद्यालय काफी खूबसूरत व भव्य रूप से निर्माण किया गया है। विश्वविद्यालय के मेन गेट से भीतर परिवेश करते ही कि कैंपस के बेहतरीन वातावरण और नज़ारे देखते ही मंत्र मुग्ध हो जाएंगे। इसकी विशेताएँ की वर्णन नहीं किया जा सकता। इस विश्वविद्यालय के शुरू होते ही बिहार एक बार पुनः शिक्षा के दृष्टिकोण से देश-विदेश में जाना जाएगा।

बता दें कि वर्ष 2007 के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में नालंदा विश्वविद्यालय को बनाने के निर्णय को समर्थन प्राप्त हुआ था। नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा के सशक्त केंद्र रूप में आगे आएगा। इस विश्विद्यालय में अल्पकालिक कार्यक्रम छात्रों की छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य केंद्र, अपने शानदार बुनियादी ढांचा, विकास नीतिगत पहल, 200 से ज्यादा संरचनाओं वाला एक पूर्ण स्थाई कैंपस के साथ नालंदा विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय का फिर से वर्ल्ड लेवल पर दावेदारी पेश करने की संभावना है।

आपको बता दें कि नालंदा विश्वविद्यालय वास्तुकला का अकल्पनीय नमूना था। यहां मठों की कतार थी इसके अलावा कई भव्य स्तूप और बुद्ध भगवान से सुसज्जित मंदिर थे। यहाँ से विशेष शिक्षा प्राप्त स्नातक बाहर जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार करते थे। प्राचीन काल में नालंदा विश्वविद्यालय विश्वविख्यात हो चुका था, तब महायान के प्रवर्तक नागार्जुन, वसुबंधु, असंग और धर्मकीर्ति के कार्यों पर मंथन हुआ करता था। वेद, वेदांत और सांख्य की शिक्षा दी जाती थी। व्याकरण, दर्शन, शल्य चिकित्सा, ज्योतिष, योग और चिकित्सा भी पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण भाग थे।