बेगूसराय : कभी कट्टर सोशलिस्ट और बाद में भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता बने 92 वर्षीय युगल किशोर राय नहीं रहे

न्यूज डेस्क : बेगूसराय जिले की पुरानी पीढ़ी के नेताओं में एक । जिले में बेवाक बोलने वालोंं में एक । कभी कट्टर सोशलिस्ट और बाद में भाजपा के कट्टर समर्थक युगल किशोर राय नहीं रहे। वे गढ़पुरा प्रखंड के मोरतर गांव के निवासी थे। नमक सत्याग्रह के साल 1930 में जन्म लेने वाले युगल बाबू जैसे लोग अब राजनीति में विरले ही मिलते हैं। मंझौल के पबडा गांव में अपने ननिहाल में रहकर उन्होंने मंझौल के जयमंगला हाईस्कूल से मैट्रिक पास किया था।

यहीं वे उस समय सक्रिय कामरेड ब्रह्मदेव , रामनारायण चौधरी और रूद्रनारायण झा जैसे नेताओं कै संपर्क में आकर सोशलिस्ट आंदोलन से जुड़ गए। गरीबों की लड़ाई की अगुआई करते वे सोशलिस्ट नेता पूर्व सांसद रामजीवन सिंह से गहरे जुड़े रहे। सोशलिस्ट रहते शिक्षा प्रेमी युगल बाबू ने अपने गांव में जमीन दान में देकर सोशलिस्ट नेता राममनोहर लोहिया की याद में उनके निधन के बाद लोहिया उच्च विद्यालय खुलवाया। वर्ष 1969 में जब रामविलास पासवान अलौली क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे तो गढ़पुरा ब्लाक के उनके गांव का क्षेत्र उसी क्षेत्र में था। उन्होंने सोशलिस्ट नेता रामजीवन सिंह जिन्होंने रामविलास पासवान को सोशलिस्ट पार्टी का टिकट दिलाया था के कहने पर धन जन और वोट से चुनाव में उन्हें जितवाया।

वे लगातार बखरी, हसनपुर और चेरियाबरियारपुर क्षेत्र में सक्रिय रहे। वर्ष 1990 के बाद जब जातिवादी राजनीति का बोलबाला हुआ तो उन्होंने बिहार पीपुल्स पार्टी का साथ दिया। आनंदमोहन के साथ रहकर राजनीति की। वे 1995 में अपने मित्र रामजीवन बाबू को चुनौती देते हुए चेरियाबरियारपुर विधानसभा क्षेत्र से बीपीपा टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़े। लेकिन, पराजित हुए। इसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। बेगूसराय के विधायक और पूर्व सांसद भोला सिंह उनके समधी थे। कार्यकर्ताओं का काफी और व्यवहारिक ख्याल रखनेवाले युगल बाबू ने हसनपुर चीन मिल प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ किसानों के संघर्ष की अगुवाई भी की। अपने गांव से 40 किलोमीटर की यात्रा बस से तय कर वे नियमित बेगूसराय आते रहे थे।

बेगूसराय के कैंटीन चौक पर उनकी उपस्थिति राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए उत्साह जैसा होता था। उनके गांव में उनकी झोपड़ी नुमा बैठका तक कोई पहुंच जाता तो उसे बिना खाना खिलाएं शायद ही आने देते। जो भी ज़रूरतमंद पहुंच जाता तो एक राजनीतिक कार्यकर्ता की हैसियत से उसकी मददगार बन जाते। थाना कचहरी सरकारी कार्यालयों तक उसकी अपनी हैसियत के अनुसार मदद करते। आसपास के ग्रामीणों के आपसी झगड़े के पंच जरूर होते। झगड़ा थाना तक नहीं पहुंचे इसका ख्याल रखते।
नमन युगल बाबू