Tender Scam : बिहार में इन दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार अभियान चल रहा है। सरकारी इंजीनियरों और अफसरों पर कार्रवाई तेज है। इसी बीच भवन निर्माण विभाग में मार्च 2025 में हुई बड़ी छापेमारी एक बार फिर सुर्खियों में है। पूर्व चीफ इंजीनियर तारिणी दास और वित्त विभाग के संयुक्त सचिव मुमुक्षु चौधरी के ठिकानों से बरामद 9 करोड़ रुपए अभी तक किसी के नहीं निकले।
8 महीने बीतने के बाद भी यह जवाब नहीं मिला है कि यह कैश किसका था। अब स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) खुद इस रहस्य की जांच करने में जुट गई है और दोनों अफसरों से फिर से पूछताछ करेगी।
7 करोड़ मिले, बोले- पता नहीं किसके हैं
ED की मार्च 2025 की रेड में तारिणी दास के घर से 7 करोड़ और मुमुक्षु चौधरी के घर से 2 करोड़ रुपए मिले थे। पूछताछ में दोनों ने इस कैश पर कोई दावा नहीं किया। यह पूरा पैसा सरकारी ट्रेजरी में जमा है, लेकिन रकम का मालिक कौन? यह आज भी बड़ा सवाल है।
टेंडर घोटाले का कनेक्शन
यह मामला बिहार के चर्चित टेंडर घोटाले से जुड़ा है। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की थी। छानबीन के दौरान ठेकेदार रिशुश्री का नाम सामने आया। ED के अनुसार रिशुश्री ने पूछताछ में उन अधिकारियों के नाम बताए, जिन्हें टेंडर के बदले कमीशन दिया गया था। इसी आधार पर 7 अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी हुई।
PC एक्ट के तहत FIR दर्ज
कई महीनों की जांच के बाद ED ने SVU को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत कार्रवाई की सिफारिश की। इसके बाद पटना स्थित SVU थाने में दो FIR दर्ज हुईं
- FIR 24/25: मुमुक्षु चौधरी
- FIR 25/25: तारिणी दास
SVU का पहला फोकस 9 करोड़ आखिर किसके हैं?
SVU अब दोनों अफसरों से अलग-अलग पूछताछ करेगी। एजेंसी का मुख्य लक्ष्य यही जानना है कि यह 9 करोड़ रुपए कहां से आए और किसके लिए इकट्ठे किए गए थे। सूत्रों के मुताबिक पूछताछ जल्द शुरू होगी।
कौन हैं तारिणी दास? तारिणी दास भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर रहे। 31 अक्टूबर 2024 को रिटायर होने के बाद सरकार ने 9 नवंबर 2024 को उनका सेवा विस्तार दो साल के लिए बढ़ा दिया था। टेंडर घोटाले में नाम आने के बाद ED ने 27 मार्च 2025 को उनके घर पर छापा मारा, जिसमें 7 करोड़ कैश और कई संपत्तियों का पता चला। आरोप है कि उन्होंने टेंडर दिलाने के बदले मोटी रकम ली। छापेमारी के बाद सरकार ने उनका कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया।
कौन हैं मुमुक्षु चौधरी? मुमुक्षु चौधरी वित्त विभाग में संयुक्त सचिव रहे। मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं। इससे पहले सीतामढ़ी और सहरसा में म्युनिसिपल कमिश्नर भी रह चुके हैं। टेंडर घोटाले के दौरान उनका नाम भी सामने आया। ED ने जब छापा मारा तो उनके ठिकानों से 2 करोड़ रुपए मिले। उन पर आरोप है कि उन्होंने ठेकेदार रिशुश्री से रिश्वत ली और करोड़ों के टेंडर पास किए।

