बच्चों को स्कूल लाने के लिए अनोखे रास्ते खोज रहे हैं शिक्षक बैधनाथ रजक, क्षेत्र में हर कोई हुआ दीवाना

न्यूज डेस्क : देश को सबसे अधिक आईएएस अधिकारी देने वाला बिहार के शिक्षा व्यवस्था पर अक्सर उंगली उठाया जाता है। यहां के सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों पर भी बीच-बीच में सवाल उठते रहे हैं। शिक्षा की इस जर्जर स्थिति लिए शिक्षकों को ही जिम्मेदार बताया जाता है। वहीं इन सब के बीच राज्य के समस्तीपुर जिले से एक शिक्षक की शानदार पहल देखने को मिली है, जिसको लेकर शिक्षक बैधनाथ रजक (Baidhnath Rajak) की चारों तरफ तारीफ हो रहा है।

दरअसल, हसनपुर प्रखंड के राजकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बैधनाथ रजक साल 2006 में सेवा में आए थे। बैधनाथ रजक अच्छे से पढ़ाने के साथ-साथ लगातार विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति को लेकर काफी प्रयत्नशील रहे हैं। मालूम हो कि बैधनाथ रजक स्कूल न आने वाले बच्चों के आंगन जाकर उनके अभिभावकों को समझाते हैं और छात्रों को विद्यालय नियमित आने हेतु प्रेरित करते रहे हैं।

यही नहीं, शिक्षक बैधनाथ बच्चों को पढ़ाई में मन लगे इसलिए संगीत और खेल के ज़रिये से विद्यार्थियों को आसान भाषा मे पढ़ाते हैं, इस सब से बच्चे भी विद्यालय आने लगे हैं। शिक्षक बैधनाथ रजक कहते हैं कि शिक्षक बनने के पहले भी वे गांव में समाज के मुद्दों को लेकर जागरूकता पैदा करने हेतु नाटक का मंचन भी करते थे। कोरोना काल के दौरान भी शिक्षक रजक ने नाटक व संगीत के माध्यम से नागरिकों को जागरूक करने का कोशिश किया है।

कोरोना काल के कारण छात्र-छात्रा काफी वक्त तक स्कूल से दूर रहे। अभी विद्यालय खुल के बाद भी, ग्रामीण इलाकों में बच्चों स्कूल कम पहुंच रहे हैं। ऐसे में शिक्षक बैधनाथ रजक ग्रामीणों से मिलकर विद्यार्थियों को गीत के माध्यम से विद्यालय आने की आग्रह कर रहे हैं, जिससे अभिभावक बच्चों को विद्यालय भेज भी रहे हैं। देखिए सिक्के हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। एक ओर जहां राज्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर शिक्षकों पर सवाल उठाए जाते रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समस्तीपुर जिले के शिक्षक बैधनाथ रजक का यह बेहतरीन प्रयास न केवल बच्चों को स्कूल के आने के लिए आकर्षित कर रहा है बल्कि सरकारी स्कूलों की छवि को भी बेदाग बना रहा है।