Nitin Nabin : भारतीय जनता पार्टी के फैसले ने आज पूरे देश को चौंका दिया. पार्टी के इस फैसले ने संगठन ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी नई बहस और संकेत पैदा कर दिए हैं. नितिन नबीन बिहार सरकार में फिलहाल मंत्री है और बांकीपुर से 5 बार विधायक रह चुके हैं. इसके बाद पार्टी ने अब उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है.यह नियुक्ति तत्काल ही लागू हुई है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से पत्र जारी कर इस नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा की गई.
प्रयोग है यह फैसला
विशेषज्ञ इसे महज एक पदस्थापन नहीं बल्कि बीजेपी की आगामी सियासी रणनीति, नेतृत्व का निर्माण और संगठनात्मक दिशा से जोर कर देख रहे हैं. इस पद के लिए नियुक्ति के साथ ही नितिन नवीन (Nitin Nabin ) ने एक नया रिकार्ड कायम किया है. 45 साल के नितिन अब तक में इस स्तर पर पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के नेता बन गए हैं. उनके बाद यह रिकार्ड अमित शाह के नाम है जिन्होंने 49 वर्ष की आयु में यह जिम्मेदार संभाली थी.
नितिन नबीन को ऐसे नेता के रुप में देखा जाता हैं जिन्होंने संगठन के हर पायदान पर काम किया है. बीजेपी में लंबे समय से नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सवाल उठ रहे थे और विपक्ष लगातार नड्डा के बढ़ते कार्यकाल पर तंज कस रहा था. सूत्रों के मुताबिक नए अध्यक्ष के चयन तर नितिन नबीन इस जिम्मेदारी को निभाएगें और इस दौरान उनके कामकाज का भी मूल्यांकन होगा.
कैसा रहा Nitin Nabin का राजनीतिक सफर
नितिन नवीन ने एबीवीपी और भारतीय जनता युवा मोर्चा से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी. वो BJYM के राष्ट्रीय महामंत्री और बिहार के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. उनकी पहचान एक डिसिप्लिन्ड, जमीनी और स्ट्रांग स्ट्रैटेजी वाले नेता की है. इस फैसले के पीछे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कई कारण और नितिन नबीन के पिछले कामों का भरोसा छिपा हैं. नेता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी, उन्होंने लिखा कि नितिन नबीन एक कर्मठ, विनम्र और जमीन से जुड़े नेता हैं, जिनकी ऊर्जा और प्रतिबद्धता पार्टी को और सशक्त बनाएगी.
फैसले में कौन से 5 कारण रहे सबसे अहम
- छत्तीसगढ़ की जीत
- बांकीपुर, जो बनी जीत की प्रयोगशाला
- सरकार में वर्किंग मिनिस्टर की छवि
- कायस्थ समुदाय और सामाजिक संतुलन
- विरासत से आगे की राजनीति
लोकसभा चुनावों से पहले यह नियुक्ति बीजेपी के लिए बेहद अहम मानी जा रही है. अब नेता की भूमिका केवल बिहार तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि देशभर में संगठन, चुनावी तालमेल और रणनीति में उनकी निर्णायक भूमिका रहेगी. इस फैसले को बीजेपी का साफ संदेश माना जा रहा है कि बीजेपी का फोकस नेक्स्ट जेन लीडरशिप पर है जो सरकार और संगठन दोनों को साथ लेकर चल सके. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या नितिन नवीन इस अंतरिम भूमिका से आगे बढ़कर पार्टी के स्थायी अध्यक्ष बनेंगे या नहीं?
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