अदालत में इन 3 मामलों के फैसलों को लेकर उलझी है बिहार सरकार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने को लेकर अन्य नेताओं से लगातार मिल रहे हैं। इस बीच, उनकी सरकार अदालत में चल रहे तीन मामलों को लेकर उलझ गई है। बिहार में जातीय गणना, बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई और तेजस्वी यादव के गुजरात से जुड़े एक मामले में बयान दिए जाने से जुड़े मामले की देश के विभिन्न अदालतों में सुनवाई हो रही है।

इन मामलों के फैसले का सरकार पर सीधा प्रभाव डाल सकते हैं। कहा जा रहा है कि इन तीनों मामलों के फैसलों का असर नीतीश सरकार पर पड़नी तय है। जातीय गणना और आनंद मोहन रिहाई मामले तो सीधे-सीधे नीतीश सरकार के उठाए गए फैसले को चुनौती है। जबकि तेजस्वी से जुड़ा मामला राहुल गांधी के बयान की तरह है, जिसमे उन्हे लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी। प्रदेश में जारी जातीय जनगणना को पटना उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। दीगर बात है कि जातीय गणना राज्य के सभी दलों की सहमति से प्रारंभ हुआ है।

लेकिन पटना उच्च न्यायालय के इसपर रोक लगा दिए जाने के बाद राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा सरकार को ही घेर रही है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि कोर्ट में सही दलील नहीं रखे जाने के कारण अदालत को रोक लगानी पड़ी। पटना उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर सरकार सर्वोच्च न्यायालय भी गई लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। ऐसा ही मामला बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई से जुड़ा है। सरकार द्वारा एक कानून में बदलाव किए जाने के बाद गोपालगंज के डीएम रहे कृष्णया की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद मोहन की जेल से रिहाई हो गई। इस फैसले को लेकर आईएएस अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णया सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई।

कहा जा रहा है कि अगर अदालत का फैसला सरकार के विरोध में आया तो आनंद मोहन को फिर से जेल जाना पड़ सकता है, जिससे सरकार की किरकिरी हो सकती है। वैसे, सरकार इस मुद्दे को यह भी कहकर बच सकती है कि यह कोर्ट का फैसला है। इधर, तेजस्वी यादव का एक बयान भी सरकार के लिए गले की फांस बनी हुई है। तेजस्वी द्वारा गुजराती को ठग बताए जाने का मामला गुजरात की एक अदालत में चल रहा है। इस मामले को लेकर भी सरकार फंसी दिख रही है। इसी तरह के मामले में गुजरात की अदालत ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को सजा सुना चुकी है। अगर ऐसा हुआ तब सरकार की मुश्किल बढ़ जाएगी।