Bihar Assembly Election 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : 9% वोट गैप बनेगा NDA की जीत की गारंटी?

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी तेज़ हो चुकी है। सीटों की बिसात बिछ चुकी है, गठबंधन की बैठकों का दौर जारी है और हर दल अपनी रणनीति को धार देने में जुटा है। मगर सबसे अहम सवाल यही है — क्या महागठबंधन एनडीए के खिलाफ बढ़त बना पाएगा, या फिर लोकसभा की तर्ज़ पर फिर एक बार भाजपा-जदयू गठबंधन बिहार की सियासत पर हावी रहेगा?

लोकसभा 2024 का परिणाम बना आधार

2024 के लोकसभा चुनावों में बिहार की 40 में से 30 सीटों पर एनडीए ने जीत दर्ज की, जबकि महागठबंधन को महज़ 9 सीटें मिलीं। एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव के खाते में गई।
वोट प्रतिशत की बात करें तो:

  • भाजपा को 20.52%
  • जदयू को 18.52%
  • लोजपा को 6.47% वोट मिले
    यानी एनडीए को कुल मिलाकर 45.51% से अधिक वोट शेयर और 30 सीटें मिलीं।

वहीं महागठबंधन के प्रदर्शन की बात करें तो:

  • राजद को 22.41%
  • कांग्रेस को 9.20%
  • माले को 2.99% वोट मिले
    और इन तीनों दलों को कुल 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा।

सीटों और वोट में 9% का निर्णायक फासला

इन आंकड़ों से साफ़ है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच करीब 9 प्रतिशत का वोट अंतर है। यही कारण है कि सीटों का अंतर भी 30 बनाम 9 रहा। इस 9% अंतर को पाटना महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनावी चुनौती साबित हो सकता है।

फिलहाल दोनों खेमों में स्थिरता, लेकिन तीसरी ताकत भी सक्रिय

इस समय एनडीए पूरी तरह संगठित दिखाई दे रहा है, और महागठबंधन में भी फिलहाल कोई बड़ी टूट-फूट नजर नहीं आ रही। मगर तीसरी ताकत के रूप में मैदान में हैं प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी, जो राज्यभर में सक्रिय है।

हालांकि, पिछले साल जिन चार विधानसभा उपचुनावों में जनसुराज ने प्रत्याशी उतारे, सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा — और चारों सीटें एनडीए ने जीतीं, जिनमें से तीन पहले महागठबंधन के पास थीं।

लोकप्रियता बनाम रणनीति की लड़ाई

इस बार की लड़ाई सिर्फ गठबंधन और रणनीति की नहीं, बल्कि लोकप्रियता की भी है।
नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी अब भी अतिपिछड़ा और महिला वोट बैंक में मजबूत पकड़ बनाए हुए है। यह वर्ग भाजपा-जदयू गठबंधन को बड़ा बढ़त दे सकता है।

महागठबंधन के लिए अब यह सबसे बड़ा सवाल है — क्या वह नमो-नीतीश प्रभाव और 9% वोट गैप को चुनौती दे पाएगा?

नजरें टिकी हैं गठबंधन की मजबूती पर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चुनाव फिर से एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच होने की पूरी संभावना है।
जहाँ एनडीए का पलड़ा इस वक्त भारी दिख रहा है, वहीं महागठबंधन को अपनी रणनीति, सीट शेयरिंग और ग्राउंड कनेक्ट पर गहन काम करने की ज़रूरत है।

बिहार चुनाव 2025 एक बार फिर से नेतृत्व, जातीय समीकरण, और गठबंधन प्रबंधन की परीक्षा बनेगा। अगर महागठबंधन को वापसी करनी है, तो उसे सिर्फ़ वोट प्रतिशत नहीं, ज़मीनी हकीकत को भी बदलना होगा।

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