अमृत भारत योजना में शामिल, फिर भी अधर में लटका बेगूसराय रेलवे स्टेशन का विकास!

बेगूसराय रेलवे स्टेशन बिहार के महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक है, लेकिन इसके उत्तरी भाग की स्थिति यात्रियों के लिए लगातार परेशानी का सबब बनी हुई है। रेलवे अधिकारियों की मनमानी, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही ने इस क्षेत्र को अराजकता की स्थिति में पहुंचा दिया है।
सुरक्षा के नाम पर यात्रियों को मुश्किलों में डालना
बेगूसराय रेलवे स्टेशन के उत्तरी हिस्से को रेलवे ने लोहे की बैरिकेडिंग से घेर दिया है, जिसे सुरक्षा कारणों से किया गया बताया जा रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर यह घेराबंदी इतनी प्रभावी है, तो हर मिनट औसतन 10 लोग इसे पार कैसे कर रहे हैं? यह साफ दिखाता है कि यह घेराबंदी समाधान के बजाय समस्या बन गई है। यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों की शिकायत है कि पहले वे आसानी से रेलवे स्टेशन के इस हिस्से से गुजर सकते थे, लेकिन अब उन्हें लंबा चक्कर लगाकर प्लेटफॉर्म तक पहुंचना पड़ता है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब यात्रियों को अपनी ट्रेन पकड़ने में देर हो रही होती है। मजबूर होकर वे बैरिकेडिंग के नीचे से निकलने या उसे पार करने की कोशिश करते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है।
अधूरी योजनाओं का अंबार
बेगूसराय रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने के कई वादे किए गए, लेकिन वे सभी अधूरे ही रह गए। पिछले साल मीडिया में खबर आने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सोनपुर डीआरएम से बात की थी। डीआरएम विवेक भूषण सूद ने फुट ओवर ब्रिज (FOB) के विस्तार की स्वीकृति देने की बात कही थी, लेकिन तीन महीने बीत जाने के बावजूद कोई ठोस काम नहीं हुआ।
इतना ही नहीं, कुछ साल पहले प्लेटफॉर्म नंबर 3 के पास से रैक पॉइंट हटाकर सिंगल कर दिया गया था, ताकि स्टेशन को विश्व स्तरीय बनाया जा सके। 2023 में बेगूसराय को ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ में भी शामिल किया गया, लेकिन अब तक कोई महत्वपूर्ण विकास कार्य शुरू नहीं हुआ है।
अतिक्रमण और अव्यवस्था की भरमार
रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा एक और गंभीर समस्या बन चुकी है। उत्तरी दिशा में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया है, लेकिन जीआरपी और आरपीएफ इसे अनदेखा कर रहे हैं। हालत यह है कि बैरिकेडिंग के बावजूद लोग इसे पार कर रेलवे परिसर में आ-जा रहे हैं।
इसके अलावा, स्टेशन परिसर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का धड़ल्ले से प्रवेश हो रहा है, जिससे यातायात व्यवस्था बिगड़ रही है। रेलवे ने सिटी पार्किंग के लिए टेंडर तो जारी किया, लेकिन वहां अवैध वसूली की शिकायतें लगातार मिल रही हैं।
यात्रियों की बढ़ती नाराजगी
रेलवे स्टेशन के इस हिस्से में हो रही परेशानियों को लेकर यात्रियों में भारी नाराजगी है। प्लेटफॉर्म नंबर 1 तक पहुंचने के लिए उन्हें लंबा रास्ता तय करना पड़ता है, जबकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट उन्हें उत्तरी दिशा में ही उतार देता है। मजबूर होकर यात्री बैरिकेडिंग के नीचे से किसी तरह गुजरकर स्टेशन तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि ट्रेन का समय हो जाता है, लेकिन यात्री सही समय पर प्लेटफॉर्म तक नहीं पहुंच पाते। इससे वे बैरिकेडिंग पार करने का जोखिम उठाते हैं, जो बेहद खतरनाक हो सकता है।
क्या मिलेगा समाधान?
बेगूसराय रेलवे स्टेशन का उत्तरी भाग यात्री सुविधाओं की बजाय अव्यवस्था का उदाहरण बन चुका है। रेलवे अधिकारी सिर्फ निर्देश देकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं, लेकिन समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा रहा।
अब सवाल यह उठता है कि क्या रेलवे प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देंगे? क्या बेगूसराय रेलवे स्टेशन को वह सुविधाएं मिलेंगी, जिनका वादा किया गया था? या फिर यह अव्यवस्था यात्रियों के लिए एक स्थायी समस्या बनी रहेगी?
यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देना रेलवे की प्राथमिक जिम्मेदारी है। जब तक इस समस्या का ठोस समाधान नहीं निकाला जाता, तब तक यात्रियों को अनावश्यक परेशानियों से जूझना पड़ेगा। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द फुट ओवर ब्रिज का विस्तार करे, अवैध अतिक्रमण हटाए और यात्रियों की आवाजाही को सुगम बनाए। तभी इस समस्या का स्थायी समाधान निकल सकता है।