ये क्या! बिहार में महज 1.5 KM का किराया 7000 रुपये! आखिर इतना महंगा नाव का सफर क्यों.. जाने-

न्यूज़ डेस्क : बिहार सांस्कृतिक और धार्मिक दृटिकोण से काफी समृद्ध रहा है। ऐसे में यहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। वहीं राज्य में कई ऐसी जगह है जहां घूमने के लिए मोटी रकम की जरूरत होती है। प्रदेश में एक ऐसा जगह भी है जहां महज डेढ़ किलोमीटर नौका बाहर करने के लिए 7 हजार तक किराया देने पड़ते हैं।

यह खर्च देश के किसी भी एयरलाइंस या राजधानी, तेजजस जैसी महंगी सवारी से भी महंगा है। यह जान आप हैरान हो गए होंगे, परंतु सत्य है। हैरानी की बात यह भी है कि इतनी ज्यादा किराया होने के बाद भी नाविकों छण भर की फुर्सत नहीं होती। अब आपके मन में यह जिज्ञासा उत्पन हो रही होगी कि यह जगह बिहार में कहां है।

दरअसल बिहार का एक ऐतिहासिक शहर बक्सर पर्यटन के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शहर बक्सर और चौसा की लड़ाई के लिए इतिहास के पन्नो में आज भी दर्ज है। इसी शहर में एक रामरेखा घाट है। यह रामायण काल से जुड़ा है। मान्यता यह भी है कि प्रभु राम और लक्ष्मण इसी घाट पर गंगा स्नान करने के उपरांत शिवलिंग की स्थापना कर पूजा किया। कहा जाता है भगवान राम के चरण के निशान अब भी मौजूद हैं।

मिनी काशी कहे जाने वाला इस रामरेखा घाट पर विशेष अवसरों पर काफी तादाद में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। इसके अलवाइस घाट पर हर वर्ष बच्चों के मुंडन संस्कार भी किये जाते हैं। इस पवित्र घाट पर भारत-नेपाल के कई राज्यों से लोग पहुंचते हैं। इस विशेष पर्वो पर लोगों की भीड़ काफी अधिक होती है। इस अवसर पर स्थानीय परंपरा के हिसाब से एक विशेष रस्सी जिसे स्थानीय लोग कहते हैं। इस रस्सी को बाध कहा जाता है, नियमानुसार इस रस्सी से नदी के दोनों किनारों को माप लिया जाता है। इसके बाद आम की लकड़ी के खूंटे में रस्सी का एक सिरा बांध दिया जाता है, जिसके माध्यम से लोग नाव पर बैठ कर नदी को पार करते हैं। वहीं रस्सी का दूसरा सिरा उस छोर पर भी एक खूंटा से बांधते देते हैं।

इस के दौरान नदी के दोनों घाटों पर पूजा अर्चना की जाती है। एक किनारे से दूसरे किनारे जाने में करीब 30 से 40 मिनट का समय लगता है। यहां आए श्रद्धालुओं से नाविक मनचाहा किराया लेते हैं। किराया इतना कि यदि छोटी नाव का किराया भी 7 हाजर के करीब है। ताज्जुब तो इस बात से लगता है कि इतना ज्यादा किराया होने के पश्चात भी नाविकों को फुर्सत नहीं रहता है। वे सुबह से शाम तक सवारियों को इधर-उधर ले जाने में व्यस्त रहते हैं। यहां नाव का किराया हवाई किराया को भी पीछे छोड़ दिया है।