… जब लालू-नीतीश की जोड़ी ने बेगूसराय की सातों सीट से एनडीए का किया था सुपड़ा साफ

डेस्क : वर्ष 2015 का विधानसभा का चुनाव। बेगूसराय की सात सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ। महागठबंधन और एनडीए के साथ वामदलों का तीसरा कोण। परिणाम महागठबंधन के पक्ष में गया और जिले की सातों सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों ने कब्जा जमा लिया। एनडीए के घटक दलों को पराजय झेलनी पड़ा और कई क्षेत्र में उसके कैंडिडेट तीसरे पायदान पर चले गए। जिले में तब महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस को दो, जदयू को दो और राजद को तीन सीटें मिली थीं।

जिले में बछवाड़ा और बेगूसराय की सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। जबकि, तेघड़ा,बखरी और साहेबपुर कमाल से राजद को जीत मिली। चेरियाबरियारपुर और मटिहानी की सीट तब जदयू को मिलीं थीं। एनडीए में सीटों के तालमेल के आधार पर भाजपा ने बखरी, मटिहानी, बेगूसराय और तेघड़ा से अपने प्रत्याशी दिए थे। बछवाड़ा,चेरियाबरियारपुर और साहेबपुर कमाल से लोजपा ने कैंडिडेट उतारे थे। वामदलों में सीपीआई ने मटिहानी, तेघड़ा, बछवाड़ा ,बखरी और चेरियाबरियारपुर तथा सीपीएम ने बेगूसराय और भाकपा माले ने साहेबपुर कमाल सीट से अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें सिर्फ बछवाड़ा और बखरी में सीपीआई की उपलब्धि अच्छी रही।

शेष पर वामदल तीसरे पायदान पर कम वोट के साथ रहें। राजद और कांग्रेस के परंपरागत वोटर के साथ जदयू के आधार वोटबैंक की जातियों के जुड़ने से महागठबंधन के जीत का समीकरण बदल गया। बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में जदयू के आधार वोटबैंक के महागठबंधन से जुड़ने से कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में समीकरण गया और उनकी जीत हुई। भाजपा और लोजपा के उम्मीदवार को वोट तो अच्छा आया। लेकिन,वे महागठबंधन के आगे टिक नहीं सके। बेगूसराय, तेघड़ा, मटिहानी में भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर तो रहे, लेकिन, वोटों का अंतर काफी रहा। इसी तरह चेरियाबरियारपुर और साहेबपुर कमाल में लोजपा काफी वोटों के अंतर से पीछे रही। अब 2020 का चुनाव सामने है‌ इसमें जदयू एनडीए के साथ है। वर्ष 2010 में भी भाजपा और जदयू साथ चुनाव लड़े थे। तब जिले में भाजपा को तीन ,जदयू को तीन सीटें मिली थीं। एक सीट बछवाड़ा सीपीआई ने जीती थी।