बाबरी विध्वंस मामले में 28 साल बाद आया फैसला, कोर्ट ने कहा, घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, सभी आरोपी बरी

डेस्क : बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। बाबरी मस्जिद ढांचा गिराने के पीछे तकरीबन 32 आरोपियों को तिहाड़ जेल में बंद कर रखा था, परंतु आज उन 32 आरोपियों को बरी करने का फैसला सुना दिया है। इस पर लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जय श्री राम का नारा लगाया और इस फैसले का स्वागत करा। लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि हम सभी के लिए यह खुशी का पल है।

अदालत के आदेश के बाद उन्होंने जय श्री राम का नारा लगाया और यह फैसला राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति मेरे व्यक्तिगत चरित्र और बीजेपी के विश्वास को झलकाता है। आपको बता दें कि 16 सितंबर 2020 तक इस पर सुनवाई पूरी हो जानी थी और जैसे ही इस पर सुनवाई पूरी हुई तो सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने आखिरी फैसले के लिए 30 सितंबर 2020 की तारीख तय कर रखी थी। इन 32 आरोपियों में से 6 आरोपियों को कोर्ट में पेश नहीं करा गया, क्यूंकि उनकी तबीयत खराब थी। कोर्ट ना पहुंचने वालों के नाम मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, गोपालदास, लालकृष्ण आडवाणी, सतीश प्रधान है।

बाबरी विध्वंस केस के 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई जिनके नाम हैं अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, मोरेश्वर सावे, विष्णु हरि, डालमिया महामंडलेश्वर महंत, अवैद्यनाथ जगदीश, मुनि महाराज, बैकुंठ लाल, शर्मा डॉक्टर, सतीश नागर परमहंस, रामचंद्र दास, बाला साहब ठाकरे, तत्कालीन एसपीडीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महा त्यागी, हरगोविंद सिंह लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल।

जिन 32 लोगों पर आरोप लगे उनके नाम इस प्रकार हैं सुधीर कक्कड़, मुरली मनोहर जोशी, ओमप्रकाश पांडे, उमा भारती, कल्याण सिंह, रामविलास वेदांती, विनय कटियार, प्रकाश सारण, महंत नृत्य, गोपाल दास, गांधी यादव, जय भान सिंह, लल्लू सिंह, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मदास, जय भगवान गोयल, साध्वी रथ भरा पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह, आरएम श्रीवास्तव और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर। इन सब को सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बरी कर दिया।

कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा

  • फैसला सुनाते वक्त सीबीआई की विशेष अदालत के जज का कहना था कि बाबरी विध्वंस की घटना कोई पूर्व नियोजित घटना नहीं थी साथ ही मस्जिद को ढहा ए जाने की घटना आकस्मिक थी।
  • कोर्ट का कहना है कि हम सिर्फ तस्वीरों के आधार पर ही किसी को दोषी नहीं बना सकते इस मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया उन्होंने बाबरी के ढांचे को बचाने की कोशिश करी थी।
  • विशेष सीबीआई के अनुसार जय सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना में साजिश के प्रबल साक्ष्य नहीं बचे हैं।
  • कोर्ट का भी कहना है कि वीडियो कैसेट के सीन पूरी तरीके से स्पष्ट नहीं है साथ ही कैसेट को सील नहीं करा गया और फोटोस की नेगेटिव नहीं पेश करी गई।
  • कोर्ट ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना है एवं कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत या जानकारी नहीं मिली है बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश करी थी।