Begusarai News : बेगूसराय के बलिया अनुमंडल अंतर्गत बिजली विभाग के उप-विभागीय अधिकारी (SDO) इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को लेकर विवादों में घिर गए हैं। इस वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि एसडीओ ने अपने सरकारी वाहन के ड्राइवर को 80,000 रुपये रिश्वत लेने के लिए भेजा है। वीडियो के वायरल होने के साथ ही सोशल मीडिया पर लोग आक्रोश जता रहे हैं और एसडीओ पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
वायरल वीडियो में क्या है दावा?
वायरल वीडियो में आरोप लगाता नजर आ रहा है कि बलिया एसडीओ ने अपने ड्राइवर को रिश्वत लेने के लिए भेजा था। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो के संबंध में एक फेसबुक यूजर ने लिखा-

“जब एक दिन में एसडीओ 80,000 से 1 लाख रुपये तक की रिश्वत ले रहा है, तो सोचिए महीने में कितनी भारी-भरकम कमाई होती होगी।”

दूसरा फेसबुक यूजर ने लिखा –“कुछ दिन पूर्व जनता से राय लिए थे कि बिजली विभाग का इलाज़ कैसा करे होम्योपैथी या अंग्रेजी, ज्यादा लोग फास्ट असर करने वाला मेडिसिन का नाम लिए थे”
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इस वीडियो के आधार पर लोग सोशल मीडिया पर यह भी कह रहे हैं कि यह सिस्टम पूरी तरह भ्रष्ट हो चुका है और ऐसे अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।
एसडीओ की सफाई और पलटवार
इस वीडियो को लेकर जब बलिया एसडीओ से सवाल किया, तो उन्होंने सख्त लहजे में जवाब दिया। उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह वीडियो पूरी तरह झूठा, भ्रामक और उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश है।
एसडीओ का कहना है, “वीडियो में मैं कहीं नजर भी नहीं आ रहा हूं। यह एक सोची-समझी साजिश है, जिससे मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। मैं इस मामले में मानहानि का केस करूंगा और एससी-एसटी एक्ट के तहत भी केस दर्ज कराऊंगा। जो लोग वीडियो वायरल कर रहे हैं, उनका इलाज जंगली दवाई से करूंगा।”
इन लोगों पर लगाया वीडियो वायरल करने का आरोप
एसडीओ ने इस मामले में तीन लोगों राजकुमार सिन्हा, देव सुमित और अविनाश पर वीडियो वायरल करने और बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ये लोग निजी स्वार्थ और दबाव की राजनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं।
जांच और कार्रवाई की मांग
हालांकि, वायरल वीडियो के बाद स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों के बीच भी यह मांग उठने लगी है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके। अगर वीडियो में किए गए दावे सही हैं तो संबंधित अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, और अगर यह वीडियो झूठा है, तो अफवाह फैलाने वालों पर भी कड़ी कानूनी कार्रवाई जरूरी है।
नोट: वीडियो की सत्यता की पुष्टि अधिकृत स्रोत से अब तक नहीं हो पाई है। खबर केवल वायरल हो रहे दावे और संबंधित अधिकारी की प्रतिक्रिया पर आधारित है।